द फॉलोअप डेस्क
देश का पहला और एक मात्र 'मातृ उधोग' HEC अपनी बदहाली पर रो रहा है। खराब वित्तीय स्थिति के कारण कंपनी पर 1500 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया हो गया है। प्रबंधन द्वारा बकाए की जानकारी उद्योग मंत्रालय की दी गई है। पिछले दिनों बिजली विभाग ने बकाया 180 करोड़ का भुगतान 15 दिनों के अंदर करने को लेकर HEC प्रबंधन को पत्र लिखा है। कहा गया कि बिजली बिल का भुगतान जल्द नहीं करने पर बिजली काट दी जायेगी। वहीं, जलापूर्ति विभाग ने भी HEC को बकाया 15 करोड़ रुपये का भुगतान करने का कहा है। इसके अलावा कच्चा माल की आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने भी HEC को पत्र लिख कर बकाया भुगतान करने को कहा है।
HEC ने दीर्घकालीन लीज पर जमीन देकर राशि जुटाने की बात कही
HEC के अधिकारी ने बताया कि आवासीय परिसर में लगभग एक हजार एकड़ जमीन खाली है। इसकी जानकारी प्रबंधन ने मंत्रालय को दी है। यह भी बताया गया कि अलग-अलग सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ने 550 एकड़ जमीन दीर्घकालीन लीज पर देने को लेकर HEC को पत्र लिखा है। अगर, HEC इन उपक्रमों को 11.50 करोड़ प्रति एकड़ की दर से जमीन देता है, तो HEC की आर्थिक परेशानी दूर होगी और कार्यशील पूंजी की भी व्यवस्था हो जायेगी। HEC इसमें से कुछ राशि प्लांटों की जीर्णोद्धार पर भी खर्च करेगा।
कर्मियों के 18 माह का बकाया है वेतन
HEC के तीनों प्लांट एचएमबीपी, एफएफपी व एचएमटीपी में कार्यशील पूंजी के अभाव में उत्पादन लगभग ठप है। वेंडर, कर्मियों के 18 माह का बकाया वेतन, ग्रेच्युटी, पीएफ फंड आदि मद नहीं मिले हैं। पिछले छह माह से फर्नेस बंद पड़ा हुआ है। इसे फिर से चालू करने और कच्चे माल की खरीदारी के लिए पूंजी की आवश्यकता है। कंपनी के पास लगभग 1200 करोड़ रुपये का कार्यादेश है।