दिल्ली:
भ्रामक और छात्रों के लिए झूठी उम्मीद। यह कमेंट सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर किया है। याचिका में अदालत से CBSE की 10वीं, 12वीं की परीक्षा ऑनलाइन कराने का आग्रह किया गया था। ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली इस याचिका को आखिर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कहा कि सभी स्टेट बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के स्टूडेंट्स के लिए बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन मोड में ही आयोजित की जायेंगी। यह याचिका देश के 15 राज्यों के छात्रों ने दायर की थी। सुनवाई जस्टिस ए. एम. खानविल्कर की बेंच में की गयी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि पिछले साल की तरह ही परीक्षा कराने का आदेश दिया जाये। परंतु इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए याचिका ख़ारिज कर दी। बता दें की अब सबकी बोर्ड की परीक्षाएं ऑफलाइन ही आयोजित की जाएगी। सुनवाई को दौरान जस्टिस ए.एम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विचार करने का मतलब है छात्रों को और भ्रमित करना। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका दाखिल करनें से छात्र और अभिभावक दोनों ही काफी कन्फ्यूज हैं। इस पर अगर और विचार करेंगे तो और कन्फ्यूजन बढ़ेगा, जिसे कोर्ट कतई बढ़ावा नहीं देगी।
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पिछले चार दिनों से आप ऐसी जनहित याचिका के जरिए न केवल कन्फ्यूजन फैला रहे हैं बल्कि छात्रों में झूठी उम्मीदें भी बढ़ी हैं। ये बिल्कुल गैरजिम्मेदाराना हरकत है। ऐसी जनहित याचिका का दुरुपयोग ना करें। वहीं याचिकाकर्ता ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि क्लासेज ऑनलाइन हुई है जिस कारण कोर्स पूरा नहीं हो पाया है। वहीं कोर्ट ने फटकारते हुए यह भी कहा कि बोर्ड और परीक्षा से जुड़ी ऑथोरिटिज को भी सब पता है। तो हमारा इस पर दखल देने का कोई मतलब नहीं बनता है। ये याचिका किसी भी सूरत में कतई उचित नहीं है और ऐसी याचिका दायर करने से बाज आये। कोर्ट आर्थिक दंड लगाना चाहती है, लेकिन अभी सिर्फ इसे खारिज किया जा रहा है।