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जय हिंद! : गांधी की अहिंसा नहीं...नेताजी की आजाद हिंद फौज ने दिलाई आजादी! किसने और क्यों कहा ऐसा...

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कोलकाता: 

भारत को आजादी किसने दिलाई। हिंदुस्तान को आजादी महात्मा गांधी की अहिंसा ने दिलाई या आजाद हिंद फौज के सशस्त्र संघर्ष ने। हमारे वास्तविक राष्ट्रीय नायक कौन हैं। ये बहस बीते कुछ समय से लगातार अलग-अलग मंचों पर जारी है। बीते वर्ष एक टेलीविजन कार्यक्रम में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा था कि हमें वास्तविक आजादी 1947 में नहीं मिली, बल्कि 2014 में मिली। अब इस मसले पर नया शिगुफा सुभाष चंद्र बोस के भतीते ने छेड़ा है। 

भतीजे अर्धेंदू बोस का विवादित बयान
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे अर्धेंदु बोस ने कहा कि भारत को आजादी गांधी के शांति आंदोलन  ने नहीं दिलाई थी। अर्धेंदु बोस ने कहा कि आजाद हिंद फौज और नेताजी की गतिविधियों ने इस देश को आजादी दिलाई। नेताजी के भतीजे अर्धेंदु बोस ने ये भी कहा कि मैं जो भी कह रहा हूं इसे इंग्लैंड के तात्कालीन प्रधानमंत्री क्लिमेंट रिचर्ड एटली ने भी स्वीकार किया था। 

 

गांधीजी का स्वाधीनता में योगदान
क्या सही है और क्या गलत। आजादी वास्तव में किसने दिलाई। शायद अभी ये बहस उचित नहीं है क्योंकि संघर्ष सबका था। गौरतलब है कि महात्मा गांधी ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में साल 1915 में दस्तक दी थी। महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह से स्वाधीनता संघर्ष की आधिकारिक शुरुआत की। इसके बाद अहमदाबाद में मिल मजदूरों की मांग को लेकर सत्याग्रह किया। गुजरात के खेड़ा में नील सत्याग्रहियों के समर्थन में आंदोलन किया। जेल गये। 

महात्मा गांधी द्वारा चलाए गये आंदोलन
महात्मा गांधी के नेतृत्व में साल 1919 में खिलाफत आंदोलन चला। 1921 में असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया। 1930-1931 तक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। गांधीजी ने ना केवल स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान दिया बल्कि समाज में छूआछूत, जाति प्रथा और अस्पृश्यता के खिलाफ भी आंदोलन चलाया। 

सुभाष चंद्र बोस का आजादी में योगदान
वहीं सुभाष चंद्र बोस की बात करें तो वे पहले कांग्रेस का ही हिस्सा थे। कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि, बाद में सुभाष चंद्र बोस का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। उन्हें लगा कि सशस्त्र संघर्ष के बिना आजादी हासिल नहीं की जा सकती। 21 अक्टूबर 1943 को उन्होंने आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया। जर्मनी और जापान की सहायता से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संघर्ष छेड़ा। दरअसल, उस समय द्वितीय विश्व जारी था और जापान तथा जर्मनी, ब्रिटेन के खिलाफ संघर्ष कर रही थी। 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में नेताजी का निधन हो गया, हालांकि ये आज भी रहस्य है।