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क्या आपको राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की लव स्टोरी पता है, नहीं ना। आप ये बात नहीं जानते होंगे कि कैसे द्रोपदी मुर्मू के पति श्याम चरण द्रोपदी मुर्मू उनसे शादी करने की जिद्द पर अड़ गये थे और 3 दिन तक उनके घर पर धरना दे दिया था। तब तक वहां से हिले नहीं थे जब तक शादी तय नहीं हो गई थी। ये बात 1980 की है। इस बात को विस्तार से जानेंगे लेकिन इससे पहले थोड़ बैकगांउड में चलते हैं। बात तब की है जब द्रौपदी मुर्मू भुवनेश्वर से ग्रेजुएशन कर रही थीं। पढ़ाई में भी बेहद अच्छी थीं। द्रौपदी मुर्मू उस समय अपने गांव उपरवाड़ा की पहली लड़की थी जो भुवनेश्वर जाकर पढ़ाई कर रही थीं।
भुवनेश्वर के कॉलेज में हुई थी मुलाकात
द्रौपदी मुर्मू साल 1969 से 1973 तक आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं और उसके बाद ग्रेजुएशन के लिए भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला लिया। उन्हीं दिनों श्याम चरण मुर्मू से उनकी मुलाकात हुई। श्याम चरण भी भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे। इसके बाद क्या दोनों की मुलाकात बढ़ती गई, दोस्ती हुई फिर धीरे धीरे यह दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। पहली बार श्याम चरण जब द्रौपदी टुडू से मिले थे तो उसी वक्त उन्होंने फैसला कर लिया था कि शादी करेंगे तो उन्हीं से। इसके बाद श्याम द्रौपदी के घर शादी का प्रस्ताव लेकर पहुंचे। दैनिक भास्कर की टीम से बातचीत करते हुए द्रौपदी की भाभी शाक्यमुनि ने बताया है कि मैं शादी के बाद जब अपने ससुराल आई तो मुझे सास ने बताया था कि मेरे ससुर बिरंची नारायण टुडू को जब द्रौपदी और श्याम के बारे में पता चला तो वह बेहद नाराज हुए थे। वे इस शादी के खिलाफ थे। वे द्रौपदी से नाराज हो गये थे लेकिन श्याम भी ठानकर आए थे कि द्रौपदी के साथ अपनी शादी फिक्स करके ही जाएंगे।
पति श्यामचरण मुर्मू को करनी पड़ी मशक्कत
श्याम अपने गांव के रिश्ते के चाचा लक्ष्मण बासी, अपने सगे चाचा और गांव के दो-तीन लोगों को लेकर द्रौपदी के गांव उपरवाड़ा पहुंचे थे और वहीं तीन-चार दिन के लिए उपरवाड़ा गांव में डेरा डाल दिया। ऐसा नहीं था कि केवल श्याम ने ही जिद्द ठान ली थी बल्कि द्रौपदी ने भी पूरा मन बना लिया था कि शादी करुंगी तो श्याम से ही। द्रौपदी के पिता को मनाने में श्याम ने जी जान झोंक दी थी। वह हर तरह से अपने ससुर को विश्वास दिलाने में जुटे थे कि वह द्रौपदी को जीवन भर खुश रखेंगे। मान-मनौव्वल का दौर तीन दिन तक चलता रहा तब जाकर द्रौपदी के पिता थोड़े नर्म पड़े। आखिरकार सब राजी हो गए। शादी पक्की हो गई। इससे भी ज्यादा इट्रेंसटिंग बात यह है कि आखिर दहेज में द्रौपदी मुर्मू को क्या मिला था, तो वह भी आपको बताते हैं।
शादी में द्रौपदी मुर्मू को ही मिला था दहेज
दरअसल आदिवासियों में लड़के के घर वाले ही लड़की के रिश्ता लेकर जाते हैं। द्रौपदी की चाची जमुना टुडू बताती हैं कि ‘दहेज में एक गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े पर बात हुई थी। द्रौपदी के घर वाले इतने पर राजी हो गए थे।' इसके बात श्याम ने भी तुरंत ही हां कर दी। कुछ दिन बाद श्याम से द्रौपदी टुडू का का विवाह श्याम से हो गया और वह द्रौपदी मुर्मू बन गयीं। श्याम चरण के चाचा जो उस वक्त श्याम के साथ उनकी शादी की बात करने गये थे वो बताते हैं कि 'आदिवासियों के यहां दावत कैसी होगी, लाल-पीले देसी मुर्गे का भोज हुआ था। तब यही सब शादी में बनता था। एक और जानने वाली बात यह है कि द्रौपदी मुर्मू की शादी 1980 में हुई थी।
ये तो सब जानते हैं, लेकिन तारीख क्या थी यह किसी को नहीं मालूम । उनके घरवाले कहते हैं कि इतनी पुरानी बात कैसे याद रहेगी? तब किसी ने यह कहां सोचा था कि द्रौपदी एक दिन इस मुकाम पर पहुंच जाएंगी कि इतना कुछ बताना भी पड़ेगा। बता दें कि द्रौपदी मुर्मू का ससुराल ओड़िसा जिले के मयूरभंज जिले से और 25 किमी दूर एक आदिवासी गांव है पहाड़पुर में है।