द फॉलोअप डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने काशी और मथुरा के मुद्दे पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कन्नड़ पत्रिका विक्रम से बातचीत में होसबाले ने कहा कि अगर स्वयंसेवकों का एक वर्ग इन दोनों मुद्दों पर सक्रिय होना चाहता है, तो संघ उन्हें रोकने वाला नहीं है। उन्होंने 1984 में विश्व हिंदू परिषद, संतों और साधुओं द्वारा उठाए गए तीन मंदिरों के मुद्दे का भी जिक्र किया, जिसमें अयोध्या में राम जन्मभूमि का मामला शामिल था।
हालांकि, होसबाले ने मस्जिदों पर सवाल उठाने के खिलाफ चेतावनी दी और सामाजिक मतभेद से बचने की बात की। उनका कहना था कि यह मुद्दा समाज में एकता बनाए रखने के लिए संवेदनशील हो सकता है।
तीन भाषा नीति का समर्थन
होसबाले ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण पर भी जोर दिया और तीन भाषा नीति का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "अगर हम अपनी भाषाओं को बचाए रखना चाहते हैं, तो हमें इन्हें पढ़ने और लिखने का महत्व समझना होगा।" उनका मानना है कि इस नीति के माध्यम से 95 प्रतिशत भाषा विवादों का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय भाषाओं में साहित्यिक कार्यों का काफी महत्व है और अगर आने वाली पीढ़ियां इन भाषाओं को न पढ़ें और न लिखें, तो यह हमारे विकास के लिए नुकसानदायक होगा। उन्होंने भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर सृजित करने की भी बात की।
हिंदी और भाषा राजनीति पर बयान
होसबाले ने हिंदी पर राजनीति के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उनका कहना था कि भारत जैसे विशाल देश में यह अच्छा होगा अगर सभी लोग संस्कृत सीखें, जैसा कि डॉक्टर आंबेडकर ने भी कहा था। उन्होंने यह भी बताया कि लोग अपनी बोली जाने वाली भाषाएं सीखने में कोई परेशानी नहीं महसूस करते, लेकिन समस्या तब होती है जब इसे राजनीति का हिस्सा बना दिया जाता है। होसबाले ने कहा, "क्या भाषा की विविधता के बावजूद भारत हजारों सालों से एकजुट नहीं है? लगता है कि हमने भाषा को आज समस्या बना दिया है।" यह बयान RSS के रणनीतिक दृष्टिकोण और भारत की भाषाई विविधता को लेकर संघ की विचारधारा को और स्पष्ट करता है।