द फॉलोअप डेस्क
सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बैंच ने आज सुनवाई करते हुए कहा है कि राज्य खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स देना रॉयल्टी टैक्स नहीं है। CJI ने कहा है कि बेंच ने 8:1 के बहुमत से फैसला किया है कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी टैक्स नहीं मानी जाएगी। खदान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 राज्यों की टैक्स वसूलने की शक्तियों को सीमित नहीं करता है। राज्यों को खनिजों और खदानों की जमीन पर टैक्स वलूलने का अधिकार है। बता दें कि यह मामला बीते 25 साल से लंबित है। जिसपर 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था। गौरतलब है कि सुप्रीम को यह एक फैसला झारखंड के लिहाज से काफी बड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
CJI ने कहा कि रॉयल्टी खनन पट्टे से आती है। यह आम तौर पर निकाले गए खनिजों की मात्रा के आधार पर निर्धारित की जाती है। रॉयल्टी की बाध्यता पट्टादाता और पट्टाधारक के बीच अनुबंध की शर्तों पर निर्भर करती है और भुगतान सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विशेष उपयोग शुल्क के लिए होता है। सरकार को देय अनुबंध भुगतान को कर नहीं माना जा सकता। मालिक खनिजों को अलग करने के लिए रॉयल्टी लेता है।। -रॉयल्टी को लीज डीड द्वारा जब्त कर लिया जाता है और कर लगाया जाता है। हमारा मानना है कि इंडिया सीमेंट्स के फैसले में रॉयल्टी को कर बताना गलत है।
14 मार्च को रखा था फैसला सुरक्षित
CJI ने कहा है कि खदान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 राज्यों की टैक्स वसूलने की शक्तियों को सीमित नहीं करता है। राज्यों को खनिजों और खदानों की जमीन पर टैक्स वलूलने का अधिकार है। राज्य सरकारों, खनन कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की ओर से दायर 86 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था। मामले में 8 दिन तक सुनवाई हुई थी।