द फॉलोअप हेल्थ डेस्क
कोविशील्ड वैक्सीन लगाने वाले 10 लाख लोगों में महज 7 को इसका साइड इफेक्ट झेलना पड़ सकता है। कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर पिछले तीन-चार दिनों से ये खबरें आ रही हैं कि इसके साइड इफेक्ट से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बता दें कि कोरोना काल में कोविशील्ड वैक्सीन को लगाना हर नागरिक के लिए अनिवार्य बताया गया था। करोड़ों की संख्या में लोगों ने इसे लगाया भी। अब इसे लेकर सवाल खड़े किये गये हैं। दरअसल कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कुछ दिनों पहले नया खुलासा किया है। कंपनी ने कोर्ट में माना है कि इससे ब्रेन स्ट्रोक अथवा दिल का दौरा पड़ सकता है।
राहत देने वाली सूचना
आज इस संबंध में आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने लोगों को राहत देने वाली सूचना जारी की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में कोविशील्ड वैक्सीन लगाने वालों को घबराने औऱ डरने की जरूरत नहीं है। कहा कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट दुर्लभ से दुर्लभ मामलों में ही पेश आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वैक्सीन लेने वाले 10 लाख लोगों में से मुश्किल से 7 या 8 लोगों के साथ हार्ट अटैक या ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के जमने का खतरा हो सकता है। आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ रमन गंगाखेडकर ने बताया कि वैक्सीन से किसी भी तरह का खतरा नहीं है।
क्या कहा वैज्ञानिकों ने
डॉ गंगाखेडकर ने आगे कहा, ‘जब आप पहली डोज लेते हैं तो सबसे ज्यादा रिस्क होता है। दूसरी डोज लेने पर यह कम हो जाता है और फिर तीसरी में तो एकदम होता है। यदि साइडइफेक्ट होना ही होता है तो शुरुआती दो से तीन महीनों में असर दिख जाता है।' आपको बता दें कि भारत में यह पूरा मामला ब्रिटेन की एक अदालत में चले केस से शुरू हुआ है। ब्रिटेन में कुछ मृतकों के परिजनों ने दावा किया था कि वैक्सीन लेने के बाद ही उनकी मौत हुई। हालांकि इस मामले में ब्रितानी कोर्ट के फैसले के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। वहीं, ब्रिटिश अखबार डेली टेलीग्राफ ने लिखा था कि एस्ट्राजेनेका ने लंदन की एक अदालत में बताया है कि उसकी दवा से दुर्लभतम केसों में साइड इफेक्ट हो सकता है।
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