द फॉलोअप डेस्क
26 जून को लोकसभा अपना अध्यक्ष चुनेगी। नई लोकसभा में अध्यक्ष का चुनाव साधारण बहुमत से होता है। अध्यक्ष के चुने जाने तक, अस्थायी रूप से आवश्यक कार्य करने के लिए एक प्रो-टेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। 'प्रो-टेम' शब्द से पता चलता है कि यह पद अस्थायी है। अध्यक्ष पद के लिए कोई विशेष योग्यता नहीं निर्धारित की गई है और लोकसभा का कोई भी सदस्य अध्यक्ष निर्वाचित हो सकता है। अभी तक की अनाधिकृत संसदीय परंपरा के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष प्राय: सत्ता दल का कोई सांसद चुना जाता रहा है।
ये है चुनाव की प्रक्रिया
लोकसभा अध्यक्ष उम्मीदवार के संबंध में एक बार फैसला होने के बाद प्रधानमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री द्वारा उनके नाम का प्रस्ताव किया जाता है। प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद पीठासीन अधिकारी घोषणा करते हैं कि प्रस्तावित सदस्य को सभा का अध्यक्ष चुन लिया गया है। नतीजा घोषित होने के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष को प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष द्वारा आसन तक ले जाया जाता है। इसके बाद सभी सदस्य अध्यक्ष को बधाई देते हैं और इसके जवाब में अध्यक्ष धन्यवाद भाषण देता है, इसके बाद नया अध्यक्ष अपना कार्यभार ग्रहण करता है।
अनुच्छेद 93 में अध्यक्ष के चुनाव का उल्लेख है
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव का उल्लेख है। इसके तहत लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित की जाती है। इसके बाद लोकसभा सचिवालय चुनाव की अधिसूचना जारी करता है। राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करेंगी, जो संसद के नए सदस्यों को शपथ दिलाएंगे। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से एक दिन पहले लोकसभा का कोई भी सदस्य महासचिव को संबोधित करते हुए लिखित रूप में लोकसभा अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव दे सकता है। लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सभा में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से होता है।