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स्मृति शेष : सूरज के डूबने के साथ आज एक और सूर्यास्त- लता मंगेशकर को दी गई अंतिम विदाई

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सूरज के डूबने के साथ आज एक और सूर्यास्त हुआ। जिसमें स्वरों की गुंजलक थी। ऐसी आवाज़ की मल्लिका जो मोती सी पाक और क्रिस्टल सी पारदर्शी थी। ऐ मेरे वतन के लोगों जैसे गीत के रचयिता प्रदीप की आज जयंती है, उसे रूह में उतरकर आंखों में डबडबा जाने वाले स्वर की साम्राज्ञी लता मंगेशकर को चिता पर देख करोड़ों की धड़कनें थम सी गईं। और लता मंगेशकर अपने अंतिम सफर पर निकल गईं। सच ही तो गाया था, मेरी आवाज़ ही पहचान है, कल रहे न रहें! भारत निर्माताओं में से एक लता ताई का जाना सदियों तक टीस देता रहेगा।

 

लता मंगेशकर

 

लता लगभग एक महीने से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में थीं। डॉक्टर प्रतीत समदानी की टीम इलाज में लगी थी। कल उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट दिया गया था। सुबह आखिरी सांस ली। पार्थिव शरीर को 12.30 बजे उनके पेडर रोड स्थित घर प्रभुकुंज लाया गया। 4 बजे के बाद एक सजे ट्रक पर तिरंगे में लपेटकर पार्थिव देह को रखा गया। जिसपर लगी उनकी एक बड़ी तस्वीर पर दर्ज - भावपूर्ण श्रद्धांजलि। साढ़े 6 बजे के करीब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी, सीएम उद्धव ठाकरे समेत लगभग पूरा मंत्रिमंडल, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, बिग बी अमिताभ बच्चन और गीतकार जावेद अख्तर समेत सिने जगत की तमाम प्रमुख हस्तियां, सचिन तेंदुलकर, लता ताई के परिवार से बहन आशा भोंसले समेत सभी परिजन और आंसुओं के सैलाब के बीच उनकी देह को मुखाग्नि दी गई। पूरे राजकीय सम्मान के साथ। सेना के तीनों विंग के पदाधिकारी मौजूद।

 

लता मंगेशकर की जिंदगी पर किताब लिखने वाले हरीश भ‍िमानी कहते हैं, राष्ट्र के साथ उन्हें बहुत प्रेम था जितना उन्हें संगीत से था। वे चाहती थीं भारत एक मजबूत राष्ट्र बनें, भारत का ध्वज सबसे ऊंचा लहराए। अगर वह गायिका न होतीं तो एक राइटर होतीं। जब उनसे पूछा क‍ि आप केवल गाना क्यों गाती गईं। लता जी ने कहा जब मेरा जन्म हुआ तो भगवान ने मुझे कहा तो धरती पर जा और गाना गा और वाकई उन्होंने सब कुछ अपने संगीत में समर्पित कर दिया।