द फॉलोअप डेस्क
नरेंद्र मोदी NDA संसदीय दल की बैठक में कहा कि 4 जून के नतीजे चल रहे थे। काम में व्यस्त था। बाद में फोन आना शुरू हो गया। मैने कहा आंकड़े वांकड़े ठीक है। ईवीएम जिंदा है कि मर गया। ये लोग तय करके बैठे थे कि भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से विश्वास उठ जाये। ईवीएम का अर्थी जुलूस निकाला। इंडी गठबंधन वाले, ईवीएम का विरोध करते हैं। 4 जून की शाम को ईवीएम ने उनको चुप कर दिया। वरना ये लोग EVM पर ठीकरा फोड़ने को तैयारी थे। ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है। चुनावी तंत्र की ताकत है। मैं आशा करता हूं कि 2029 में फिर ईवीएम को लेकर नाटक शुरू हो जायेगा। आप देखिए कि चुनाव में पहली बार देखा कि, तीसरे दिन इलेक्शन कमीशन के काम में रुकावट डालने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। चुनाव आयोग की ताकत का बड़ा हिस्सा चुनाव प्रचार के पीक आवर में चला गया। ये लोग काफी नकारात्मक थे।
इंडी गठबंधन में पिछली शताब्दी के सोच वाले लोग
मोदी ने आगे कहा कि भारत को भी दुनिया को बदनाम करने का प्रयास किया। इंडी गठबंधन वाले, ईवीएम का विरोध करते हैं। मैं केवल चुनाव के रूप में नहीं सोचता। ये लोग मन से पिछली शताब्दी के सोच वाले लोग है। टेक्नोलॉजी का महत्व नहीं समझते। उसे स्वीकार करना नहीं चाहते। लोग मदद मांगते है। आधार को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं। ये आधुनिकता का विरोधी है। इंडिया अलायंस। देश के लिए चिंता का विषय है कि विश्व में भारत के लोकतंत्र के ताकत को कम आंकने का प्रयास करता है। मैं दुनिया में लोकतंत्र का डंका पीट रहा हूं। ये दुनिया में बदनाम करता हूं। इनकी मनोस्थिति ने भारत के नागरिकों में भी चुनाव प्रक्रिया के प्रति अविश्वास पैदा करने का प्रय़ास किया। 1 जून को वोटिंग हुई। 4 जून को काउंटिंग थी। योजनाबद्ध तरीके से देश को हिंसा में झोंकने का प्रयास हुआ। कुछ लोग इसकी गंभीरता नहीं समझते लेकिन ये गंभीर है। व्यवस्था का अनादर करते हैं। देश को हिंसा की आग में झोंकने का प्रयास किया। देश के लोगों को बांटने का प्रयास किया। चुनाव तो जोड़ने के लिए है, तोड़ने के लिए। उन्होंने यही कोशिश की। 2024 के नतीजे हर पैरामीटर से देखेंगे तो दुनिया ये मानती है कि ये एनडीए की महान विजय है।
न हम हारे थे न हारे हैं...हम विजय को पचाना जानते हैं
एनडीए के संसदीय दल के नेता ने आगे कहा कि आपने देखा कि 2 दिन एफर्ट चला। हम तो हार चुके है। हार गये है। कार्यकर्ताओं का मोरल हाई करने के लिए काल्पनिक कहानी गढ़ी। गठबंधन के इतिहास में आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे मजबूत गठबंधन की सरकार है। लेकिन, कोशिश की गई कि विजय को स्वीकार नहीं करना। न हम हारे थे न हारे हैं। 4 तारीख के बाद हमारा जो व्यवहार रहा, वो हमारी पहचान बताता है कि हम विजय को पचाना जानते हैं। हमारे संस्कार ऐसे हैं कि विजय की गोद में उन्माद पैदा नहीं होता है। न ही पराजित लोगों के प्रति उपहास करने के हमारे संस्कार हैं। पराजित का उपहास करने की प्रकृति हमारी नहीं है।