डेस्क:
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। हजारों भारतीय नागरिक यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में फंसे हैं। भारत सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन नागरिकों को वहां से निकालना है। गौरतलब है कि यूक्रेन में तकरीबन 20 हजार नागरिक थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इनमें से 8 हजार प्रारंभिक चरण में ही निकल गए थे। बाकी बचे नागरिकों में से अधिकांश सुरक्षित पनाहगाहों का सहारा ले चुके हैं।
अभी तक 2 हजार नागरिकों की वापसी
बता दें कि अभी तक कम से कम 2 हजार नागरिकों की ही वापसी हो पाई है। अन्य को मिशन गंगा के तहत एयरलिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब युद्ध जैसे हालात के बीच भारतीय नागरिकों को रेस्क्यू किया जा रहा हो। आज से तकरीबन 32 साल पहले भी 1 लाख 70 हजार भारतीय नागिरकों को सकुशल एयरलिफ्ट किया गया था।
इराकी हमले में कुवैत में फंसे थे भारतीय
दरअसल, 32 साल पहले इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था। तब परिस्थितियां भी ज्यादा विकराल थीं। कुवैत पर इराक ताबड़तोड़ हमले कर रहा था। कुवैत में फंसे भारतीय नागरिक अपनी वापसी की गुहार लगा रहे थे।
ऐसे में भारत ने 1 लाख 70 हजार नागरिकों को एयरलिफ्ट किया था। हालांकि, इसमें वक्त लगा था। तब कुवैत में फंसे भारतीय नागरिकों को पहले बसों के जरिए ओमान लाया गया। वहां से उनको एयरलिफ्ट किया गया। ये भी ध्यान रखना होगा कि तब सैन्य विमानों को उड़ान की इजाजत नहीं मिली थी।
एयर इंडिया की 488 फ्लाइट्स लगी थीं
ऐसे में एयर इंडिया की फ्लाइट्स को एयरलिफ्ट करने के अभियान में लगाया गया। लगातार 488 फ्लाइट्स ने उड़ान भरी। एयरलिफ्ट किए गए लोगों की आखिरी फ्लाइट ने 20 अक्टूबर 1990 को उड़ान भरी थी। इस अभियान में भारत सरकार को कुल 63 दिन लगे थे। भारत द्वारा किया गया ये विश्व इतिहास का सबसे बड़ा एयरलिफ्ट मिशन था। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह दी गई। फिलहाल भारतीय नागरिकों को मिशन गंगा के तहत एयरलिफ्ट किया जा रहा है।