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अंगीठी लाई मौत! दम घुटने से एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत; दूसरी फैमिली में 2 ने गंवाई जान

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द फॉलोअप डेस्क
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। आलम यह है कि लोग अंगीठी जलाकर सोने पर विवश हैं। वहीं अंगीठी जलाकर सोने से हो रही मौत का खबरे में काफी सामने आ रही है। ताजा मामला दिल्ली से है। यहां अंगीठी जलाकर सोए 6 लोगों की मौत हो गई। इसमें 4 एक ही परिवार के हैं। वहीं एक अन्य जगह दो लोगों की मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार, पहली घटना आउटर नॉर्थ दिल्ली के खेड़ा इलाके की है। यहां घर में 4 लोगों की लाश मिली है। इनमें पति-पत्नी और दो बच्चे शामिल हैं। वहीं दूसरा मामला पश्चिमी दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके की है जहां एक घर में दो लोग बेहोश मिले थे, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। पुलिस का कहना है कि कमरे के अंदर अंगीठी जली थी। कमरा अंदर से बंद था। सभी शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज देंगे। 

पोस्टमार्टम के बाद असल कारण का पता लग पाएगा- पुलिस

मामले को लेकर पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच से समझ में आ रहा है कि मौत अंगीठी जलाकर सोने के कारण हुई है। हालांकि पोस्टमार्टम के बाद असल कारण का पता लग पाएगा। पुलिस छानबीन कर रही है।  ठंड से एक परिवार कमरे में अंगीठी जलाकर सो रहा था, जहां दम घुटने से माता-पिता समेत 2 बच्चों की मौत हुई है। मरने वालों बच्चे की उम्र 7 और 8 साल बताई जा रही है। वहीं  इंद्रपुरी इलाके में जिन 2 की मौत हुई है उन्हे नोपाली मूल का बताया है। जिनकी उम्र 50 और 28 साल बताई जा रही है।

 

क्यों नहीं जला कर सोना चाहिए कोयले या लकड़ी की अंगीठी 
सर्दियों में अकसर लोग कमरा बंद करके कोयले या लकड़ी की अंगीठी जलाकर सोते हैं, लेकिन यह जिंदगी पर भारी पड़ सकता है। दरअसल, धुएं के कारण बंद कमरे में दम घुटने से लोगों की मौत हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो कोयले की अंगीठी जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है। यह जहरीली गैस सांस की नली से अंदर जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई बाधित कर देती है। इससे दम घुट जाता है या ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है। जिन जगहों पर कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई जरिया न हो यानी हवा का कोई रास्ता न हो, वहां सांस लेने पर ऑक्सीजन के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड भी खींचते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है। खून में मौजूद आरबीसी ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है। इससे शरीर के कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है, जिससे ऊतक (टिशू) नष्ट होने लगते हैं और यह जानलेवा साबित होती है।

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