द फॉलोअप डेस्कः
कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस ने सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट कर कहा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
पार्टी के रुख को लेकर असहज महसूस कर रहा हूं
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे इस्तीफे में गौरव वल्लभ ने लिखा कि 'भावुक हूं और मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं और बताना चाहता हूं। लेकिन मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है। ऐसे में मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता।' पार्टी के हालिया रुख पर अपनी असहजता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सर, मैं एक वित्त प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर मुझे राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। मैंने विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाने का काम किया है। हालांकि, मैं हाल ही में पार्टी के रुख को लेकर असहज महसूस कर रहा हूं।
कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा.मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता.इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं pic.twitter.com/Xp9nFO80I6
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) April 4, 2024
भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर कांग्रेस पार्टी के रूख से परेशान
उन्होंने लिखा कि अयोध्या में भगवान राम की प्रतिष्ठा पर कांग्रेस पार्टी के रुख से मैं परेशान हूं। जन्म से हिंदू और पेशे से शिक्षक होने के नाते, पार्टी का यह रुख पार्टी और उसके गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन धर्म के खिलाफ बोलते हैं और इस मामले पर पार्टी की चुप्पी अप्रत्यक्ष स्वीकृति देने जैसी है। गौरव वल्लभ ने आगे कहा कि जब मैंने कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ा था तो तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। यहां पर युवा और बौद्धिक लोगों के आइडिया की कद्र होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती।