द फॉलोअप डेस्क
लोकसभा में आज चुनाव आयुक्त नियुक्ति विधेयक पास हो गया। इसे अब राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा। राष्ट्रपति से सहमति मिलने के बाद इसे कानून का रूप मिल जायेगा। विधेयक को राज्यसभा ने पहले ही पास कर दिया है। विधेयक के कानून बन जाने से मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप सीधे तौर पर बढ़ जायेगा। चुनाव आयुक्त नियुक्ति विधेयक से न सिर्फ चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति बल्कि अन्य मामलों में भी केंद्र की शक्तियां बढ़ेंगी। चुनाव आयुक्तों की सेवा और उनके कार्यकाल से संबंधित फैसले भी केंद्र सरकार आसानी से ले सकेगी।
इस तरह बढ़ेगी केंद्र की शक्ति
चुनाव आयुक्त नियुक्ति विधेयक के पारित होने के बाद राज्य और केंद्र स्तर पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में अब केंद्र सरकार सरकार की भूमिका पहले से अधिक बढ़ जायेगी। पहले के प्रावधान के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करता था। इसकी व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने की थी। कोर्ट ने कहा था कि पैनल में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और CJI यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शामिल होंगे। कोर्ट का मकसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से राजनीति से दूर रखना था। अब नये पैनल में CJI को हटाकर उसके बदले केंद्रीय मंत्री को स्थान दे दिया गया है। इस तरह तीन सदस्यीय पैनल में सरकार के दो सदस्य होंगे। इससे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ेगा।
विपक्ष करता रहा है आलोचना
चुनाव आयुक्त नियुक्ति विधेयक का विरोध कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल करते रहे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि ये चुनाव आयुक्तों की स्वतंत्रता पर हमला है। इस बिल से चुनाव से संबंधित लिये जाने फैसलों पर किसी न किसी राजनीतिक दल का प्रभाव रहेगा। इसे लोकहित और जनहित में सही नहीं माना जा सकता। कहा कि अप्रत्यक्ष रूप से चुनावों पर इसका असर पड़ेगा। चुनाव आयुक्त इस दल के प्रभाव में काम कर सकते हैं, जिन्होंने उनको नियुक्त किया है।