द फॉलोअप डेस्क
ED ने NCP नेता छगन भुजबल के खिलाफ दायर याचिका वापस ले ली है। भुजबल फिलहाल एनसीपी अजीत पवार गुट के नेता हैं और महाराष्ट्र में BJP-शिवसेना-NCP गठबंधन वाली सरकार में मंत्री हैं। ED ने दायर याचिका में भुजबल के पक्ष में 2018 में दिये गये एक आदेश को रद्द करने की मांग की थी। एजेंसी ने अब इस याचिका को वापस लेने की घोषणा की है। ED ने छगन भुजबल के साथ ही उनके भतीजे समीर भुजबल के खिलाफ दायर याचिका को भी वापस लेने की बात कही है। लेकिन उनके बेटे पंकज भुजबल के खिलाफ दायर याचिका को वापस नहीं लिया गया है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में 2016 में ED की टीम ने छगन भुजबल को उनके परिवार के कुछ सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय वे महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता थे। इस मामले में भुजबल को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसके बाद भुजबल को विदेश जाने और पास्पोर्ट के रिन्यूवल की भी इजाजत कोर्ट की ओऱ से मिल गयी थी। 2018 में ED ने हाईकोर्ट में भुजबल को मिली इस राहत के खिलाफ याचिका दायर की थी। लेकिन बाद में जब मामले की सुनवाई होने लगी, तो ED ने अदालत में बयान दिया कि उसे अपनी ही याचिका की कॉपी नहीं मिल रही है। इस याचिका में छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल को कठघरे में खडा किया गया था। 2023 में इसी मामले में ED ने अपनी याचिका वापस लेने के लिए कोर्ट में गुहार लगाई। कोर्ट ने इसके बाद मामले को खारिज कर दिया था। माना गया कि ED की ओऱ से याचिका वापस ले ली गयी है।
छगन भुजबल पर क्या लगे हैं आरोप
गौरतलब है कि छगन भुजबल भ्रष्टचार के आरोपों के कारण लगभग एक दशक से सुर्खियों में रहे हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उनको ED ने 2016 में गिरफ्तार किया था। उनको दो साल जेल में रहना पड़ा। 2018 में उनको कोर्ट से जमानत मिल गयी। उनपर परिवार के सदस्यों से जुड़ी कंपनियों और ट्रस्ट को ठेकेदारी देने का आरोप लगाया था। उस समय भुजबल PWD मंत्री थे। ED ने तब आरोप लगाया था कि भुजबल ने अपने पावर और पहुंच का इस्तेमाल करते हुए महाराष्ट्र सदन का निर्माण, मुंबई की उपनगरी में पास्टपोर्ट ऑफिस का निर्माण और मालाबार हिल में एक गेस्ट हाउस के निर्माण का ठेंका अपने करीबियों और चहेतों को दिया है। इसके बदले उनको रिश्वत के रूप में भारी रकम दी गयी।