पटना:
बिहार में एनडीए गठबंधन टूट गया। जेडीयू ने बीजेपी से अपनी राहें अलग कर लीं। बीजेपी पर आरोप लगाया है कि पार्टी जेडीयू को तोड़ने की कोशिशों में लगी थी। पार्टी को कमजोर करने की साजिश की जा रही थी। सूत्रों के मुताबिक जेडीयू की बैठक में कई नेताओं ने नीतीश कुमार को बताया कि बीजेपी सरकार में रहते हुए भी ऑपरेशन लोटस को अंजाम देने की फिराक में लगी थी। अब बीजेपी की तरफ से इन आरोपों पर प्रतिक्रिया सामने आई है। शहनवाज हुसैन ने आरोपों को खंडन किया है।
शहनवाज हुसैन ने आरोपों को नकारा
एनडीए सरकार में मंत्री रहे शहनवाज हुसैन ने कहा कि हम अपनी पार्टी को मजबूत करते हैं। हम किसी अन्य पार्टी को कमजोर नहीं करते। शहनवाज हुसैन ने कहा कि मैं पटना जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि ताजा सियासी हलचल पर पार्टी नेतृत्व ही कोई आधिकारिक बयान देगा। शहनवाज हुसैन ने कहा कि हमने बिहार के लोगों के व्यापार और रोजगार के लिए ईमानादरी से काम किया है। शहनवाज हुसैन ने कहा कि पार्टी इस पर टिप्पणी करेगी। मैं कुछ नहीं कहूंगा।
Delhi | We strengthen our own party, we don't weaken any other party. Going to Patna. Party leadership will give an official statement...We've worked honestly for business & employment of people of Bihar...Party will make a comment, I won't: Bihar Min-BJP leader Shahnawaz Hussain https://t.co/b8XaHVO0ia pic.twitter.com/6B9FCgXnVY
— ANI (@ANI) August 9, 2022
नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा
दरअसल, मंगलवार को जनता दल (यूनाइटेड) की एक अहम बैठक बुलाई गई थी। बैठक में कई विधायकों और एमएलसी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा कि उनका मौजूदा गठबंधन साल 2020 से ही उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। चिराग पासवान का नाम लिए बिना कई नेताओं ने कहा कि वो एक उदाहरण थे। पार्टी नेताओं ने कहा कि यदि वे अभी सतर्क नहीं हुए तो भविष्य में ये पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा। कहा जा रहा है कि नीतीश ने इसे संज्ञान में लिया।
2020 से ही बिहार में जारी था ऑपरेशन लोटस!
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था। उन्होंने नारा दिया था कि बीजेपी से कोई बैर नहीं और नीतीश तेरी खैर नहीं। कहा जाता है कि 132 सीटों पर चुनाव लड़े चिराग पासवान की एलजेपी ने जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया। कई सीटों पर एलजेपी और जेडीयू में आमने-सामने की टक्कर हुई और जेडीयू को इसका नुकसान हुआ। 2015 में 71 सीटें जीतने वाली जेडीयू महज 45 सीटों पर सिमट गई।