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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार पर अधिकारियों को थोपा जा रहा है। भगवंत मान ने अपने ऑफिशियल ट्विटर पर लिखा है कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन में अन्य राज्यों तथा सेवाओं के अधिकारियों एवं कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से थोप रही है।
भगवंत मान ने आरोप लगाया है कि ये पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के पत्र और भावना के खिलाफ है। फिलहाल इस पर बीजेपी की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भगवंत मान ने पीएम को क्यों लिखी चिट्ठी
बता दें कि अभी हाल ही में भगवंत मान ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी थी। भगवंत मान ने केंद्र सरकार से पंजाब के लिए प्रतिवर्ष 50,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की। कहा कि वर्तमान हालात में इन पैसों की बहुत जरूरत है। बीजेपी ने इस पर काफी तीखी प्रतिक्रिया दी। कहा कि, आप सरकार ने जो मुफ्त योजनाओं की घोषणा की थी, वो किस फंड के बूते की थी यदि उन्हें केंद्र सरकार से पैकेज चाहिये। हालांकि, पैकेज वाले बयान पर अभी बीजेपी और आप में बयानबाजी जारी है।
पंजाब में आप ने हासिल किया प्रचंड बहुमत
गौरतलब है कि हालिया संपन्न पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की 117 सीटों में से 92 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत हासिल किया। कांग्रेस को महज 18 सीटों पर संतोष करना पड़ा। बीजेपी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा। संगरूर से लोकसभा सांसद रहे भगवंत मान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मंत्रिमंडल का गठन भी हो चुका है।
क्या है पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966
दरअसल, 1 नवंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत हरियाणा को पूर्ण राज्य बना दिया गया। पंजाब के पहाड़ी इलाकों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश बना। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। चंडीगढ़ पंजाब की भी राजधानी है औऱ हरियाणा की भी। अब चूंकि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है तो वहां अधिकारियों औऱ कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार केंद्र के पास है, जिससे शायद भगवंत मान असहज हो रहे हैं। देखना होगा कि ये विवाद कहां जाकर थमता है।