रांची:
झारखंड के रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिहंभूम, लातेहार, गढ़वा (भंडरिया ब्लॉक), दुमका, गोड्डा के (सुंदरपहाड़ी, बोआरिजोर ब्लॉक), पाकुड़, राजमहल और जामताड़ा जैसे अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत एक्सटेंशन टू शिड्यूल एरिया (पेसा) कानून लागू है।1996 में लागू इस कानून के तहत अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को पंचायत द्वारा विशेष प्रशासनिक अधिकार प्राप्त होते हैं। लेकिन क्या सूबे में ऐसा हो रहा है। दरअसल एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि पेसा कानून के सभी प्रावधान पंचायती राज अधिनियम में शामिल क्यों नहीं किए गए हैं।
जनहित याचिका आदिवासी बुद्धिजीवी मंच और ईमिल वाल्टर कंडुलना ने दायर की है। हाई कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधान के तहत शेड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता है। जबकि पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया है। यह संवैधानिक रूप से सही नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।जिसमें राज्य सरकार की ओर से झारखंड हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए बताया गया कि पंचायती राज अधिनियम संवैधानिक है। प्रार्थियों की दलील सही नहीं है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अपनी बात रखी। अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 4 फरवरी को होगी।