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सत्ता का समीकरण बदला तो विधानसभा में विपक्ष ने भी बदला अपना आचरण

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द फॉलोअप डेस्क
रांची। 2024 के विधानसभा चुनाव परिणाम का साफ साफ असर बजट सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही के दौरान देखने को मिल रहा है। पिछले कई वर्षों के बाद सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से हो रही है। विपक्ष का न कोई हो हल्ला है, न कोई असंसदीय आचरण। छोटे-मोटे विषयों पर सत्ता पक्ष के विरुद्ध नारेबाजी करनेवाला विपक्ष शांतिपूर्ण ढंग से बैठ कर सदन की कार्यवाही में सहयोग कर रहा है। पिछले दो दिनों से विपक्ष का कोई भी सदस्य वेल में नहीं आया। विपक्ष के बदले व्यवहार पर कांग्रेस विधायक डॉ रामेश्वर उरांव ने द्विअर्थी अंदाज में सदन में बजट पर चर्चा के दौरान प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने कहा कि हम पिछले पांच साल से बजट पढ़ना शुरू करते थे, विपक्षी सदस्य सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर भाग जाते थे। अब वह पूरा बजट भाषण सुन रहे हैं। मंगलवार को भी बजट पर हो रही चर्चा में शामिल हो रहे हैं।शायद इस बार आए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने विपक्ष को इस व्यवहार के लिए प्रेरित किया है। सदन के भीतर सत्ता पक्ष और विपक्ष का अंक गणित इस बार पूरी तरह अलग है। राज्य गठन के बाद अब तक हुए विधानसभा चुनावों में, पहली बार किसी भी गठबंधन को राज्य की जनता ने इतना मजबूत बहुमत दिया है। इंडिया गठबंधन के पास 56 विधायकों का बड़ा समूह है। दूसरी ओर एनडीए गठबंधन के मात्र 23 विधायक हैं। इसका असर सदन की कार्यवाही में भी दिख रहा है। निर्दलीय विधायक जयराम महतो भी इससे अछूते नहीं हैं। विपक्षी विधायक अपने सवाल पूछ रहे हैं। प्रश्नकाल के समय का सदुपयोग हो रहा है।

विरोध की सीमा रेखा पार कर चुके हैं सदस्य
झारखंड विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव के कई चर्चित घटनाएं हो चुकी है। पिछली सरकार के दौरान ही विपक्षी सदस्यों ने सदन के अंदर वेल में धरना पर बैठ गए थे। सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी वे वेल में ही सोए रहे। विधानसभा के अंदर की बिजली गुल कर दी गयी। डीम लाइट में उन्हें रहना पड़ा। फिर विधानसभा में ही विपक्षी विधायक सोए। रात में वहीं खाना खाया। बाद में जाकर मामला किसी तरह शांत हुआ। उससे पहले बाबूलाल मरांडी की सरकार के कार्यकाल में बजट सत्र के दौरान ही मत विभाजन के समय अप्रत्याशित स्थिति पैदा हो गयी थी। सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या, उस समय कम होने के कारण सरकार के हाथ-पांव फूल बैठा था। रबींद्र राय, प्रदीप यादव सरीखे कई विधायकों ने सदन में हंगामा करके, स्पीकर के टेबल पर रखी चीजों को फेंक कर सदन को असहज स्थिति में ला दिया था। इस कारण स्पीकर को मत विभाजन रोकना पड़ा। फिर समय मिलने के साथ इधर-उधर गए भाजपा विधायक सदन में दौरे दौरे पहुंचे और सरकार बच गयी। इसके अलावा विधानसभा का कोई भी ऐसा सत्र नहीं रहा, जिसमें सदस्यों के असंसदीय व्यवहार और आचरण न दिखा हो।

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