द फॉलोओप डेस्कः
झारखंड में आज ईडी ने फिर दबिश दी है। विभिन्न ठिकानों पर ईडी की छापेमारी चल रही है। कहा जा रहा है कि यह छापेमारी जल जीवन मिशन योजना में हुए घोटाले को लेकर की जा रही है। अब सवाल है कि जल जीवन मिशन घोटाला है क्या। इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। बताया जा रहा है कि झारखंड में करोड़ों रुपए का पाइपलाइन घोटाला हुआ है। यह घोटाला पेयजल स्वच्छता शीर्ष कार्य प्रमंडल (पीएचईडी) विभाग में किया गया है। जहां एक कर्मचारी द्वारा फर्ज़ी कंपनी बनाकर उसके माध्यम से अपने सगे संबंधी के खाते में कुल 20 करोड़ रुपए डाल दिए थे। इस मामले में रांची पुलिस की टीम ने कार्रवाई करते हुए कैशियर संतोष कुमार को इसी साल अप्रैल माह में गिरफ्तार भी किया था। रुपये गबन करने का यह खेल पिछले कई सालों से चल रहा था लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी थी। बाद में जब नये कार्यपालक अभियंता की नियुक्ति हुई तो मामले का खुलासा हुआ।
नकली कंपनी बनाकर दोबारा ट्रेजरी से पैसे निकलवा लिए
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में छपी खबर के मुताबिक यह मामला 2019 से चल रहा था। दरअसल पेयजल विभाग ने वर्ष 2012 में एलएंडटी कंपनी को रांची में पाइपलाइन बिछाने का काम दिया था। यह करीब 200 करोड़ रुपए का था। कंपनी ने काम बीच में ही बंद कर दिया। इसके बाद विभाग के कुछ लोगों ने साजिश रची। किए हुए काम के बदले दोबारा फर्जी बिल बनाए। उस पर संबंधित लोगों के फर्जी हस्ताक्षर किए। ट्रेजरी में नया कोड खुलवाया। एलएंडटी को जो भुगतान हो गया था, उसका दोबारा भुगतान करा लिया।
नये अभियंता के आने पर हुआ खुलासा
पहली बार वर्ष 2019 में 1.32 करोड़, वर्ष 2022 में 6 करोड़ और जून 2023 में 14 करोड़ रुपए ट्रेजरी से निकाले गए। ये पैसे एसबीआई, एक्सिस बैंक, आइसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और बैंक ऑफ इंडिया में 15 से अधिक खातों में जमा किए गए। यह खेल लगातार चल रहा था। तभी पिछले साल जून में चंद्रशेखर वहां कार्यपालक अभियंता पद पर आए। इस अधिकारी के हस्ताक्षर से भी 60 करोड़ का चेक ट्रेजरी में जमा कर दिया गया था। 14 करोड़ की निकासी भी हो गई थी। जांच के लिए मामला विभाग में आया तो इसका खुलासा हुआ। फिर एफआईआर दर्ज कराई गई।