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Ranchi : यूपीए गठबंधन द्वारा राज्यपाल को लिखे पत्र में क्या कुछ है! विस्तार से जान लीजिए

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रांची: 

यूपीए के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राजभवन जाकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक पत्र भी सौंपा और मुख्यमंत्री से जुड़े खनन पट्टा लीज मामले में चुनाव आयोग से मिले सीलबंद लिफाफे पर राजभवन की चुप्पी पर निराशा व्यक्त की।

राज्यपाल को संबोधित इस पत्र में लिखा है कि हमें ये जानकर आश्चर्य हुआ कि बीते 25 अगस्त से स्थानीय और राष्ट्रीय प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में महामहिम कार्यालय के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट चलाई जा रही है कि संविधान के अनुच्छेद-192 के तहत आपको चुनाव आयोग से एक मंतव्य मिला है, जिसके मुताबिक संविधान के अनुच्छेद-192 (1) के तहत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-9 (ए) के तहत बरहेट विधानसभा सीट से झामुमो विधायक और मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित किया गया है। डेलिगेशन ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स को इसमें संलग्न किया है। 

पत्र में लिखा है कि हमें ये जानकर और भी धक्का लगा है कि सभी समाचारों में ये बताया जा रहा है कि झारखंड के राज्यपाल द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 तथा संविधान के अनुच्छेद-192 (ए) के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द करने की पूरी संभावना है और बहुत जल्दी इस बारे में अधिसूचना जारी की जाएगी। डेलिगेशन ने पत्र में लिखा है कि इस तरह की खबरों को स्थानीय और राष्ट्रीय प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सनसनीखेज तरीके से पेश किया जा रहा है। इसकी वजह से प्रदेश में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल पैदा हो रहा है। विभिन्न तरह की अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है। 

पत्र में शिकायती लहजे में लिखा है कि, बताया जा रहा है कि ये सभी समाचार महामहिम कार्यालय से लीक हो रहे हैं। यदि ऐसा है तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय एक संवैधानिक कार्यालय है। जनता के मन में राजभवन के प्रति बहुत सम्मान है। महामहिम कार्यालय से आने वाली अफवाहों को भी जनता में सही तरीके से लिया जाता है जो मूल्यों के खिलाफ है। लिखा है कि महामहिम कार्यालय से कथित चुनिंदा लीक प्रदेश में अराजकता, भ्रम और अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर रहे हैं। लिखा है कि ये अवैध तरीकों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के पीछे राजनीतिक कट्टरता को भी प्रोत्साहित करती है। राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन रहा है। 

यद्यपि महामहिम राज्यपाल ने चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए मंतव्य. को लेकर अपने राय की घोषणा नहीं की गई है लेकिन राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी ने राय सार्वजनिक कर दी। मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है। मध्यावधि चुनाव की बात कही जा रही है। लिखा है कि यदि मुख्यमंत्री अयोग्य भी करार दिए जाते हैं तो इससे झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अभी भी राज्य विधानसभा में हमारे पास भारी बहुमत है। 

पत्र में लिखा है कि हम महामहिम से अपील करते हैं कि वे स्थिति साफ करें। इससे भ्रम की स्थिति खत्म होगी। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास खत्म होगा। अपील है कि चुनाव आयोग से जो भी पत्र आया है उसे सार्वजनिक किया जाए। यदि इसमें देरी की जाती है तो संवैधानिक कर्तव्यों और मूल्यों के खिलाफ होगा। उम्मीद है कि महामहिम कार्यालय गरिमा बनाए रखेगा।