द फॉलोअप डेस्क
झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम के ईडी ने 6 दिनों की रिमांड पर लिया है। आलमगीर आलम को आज प्रभात कुमार शर्मा की विशेष अदालत में पेश किया गया था, जहां ईडी ने 10 दिनों के रिमांड की मांग की थी। बहस के दौरान ईडी ने कोर्ट को बताया कि मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी मनी लॉन्डिंग के तहत की गई है। ईडी ने रिमांड नोट में कहा है कि आलमगीर आलम टेंडर घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता हैं। उन्हें हर टेंडर पर एक फिक्स अमाउंट दिया जाता था। इस घोटाले में आरोपी से पूछताछ के बाद कुछ और सरकारी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करनी है।इसी वजह से ईडी ने दस दिन की रिमांड की मांग की थी।
6 मई 2024 के ईडी ने आप्त सचिव के नौकर के घर की थी छापेमारी
गौरतलब है कि ईडी ने बीरेंद्र राम द्वारा दिये गये बयान और उसके ठिकानों से मिले दस्तावेज के आधार पर अपनी जांच जारी रखी। बीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के 15 महीने बाद ईडी ने छह मई की सुबह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और निजी सहायक जहांगीर आलम सहित कुछ इंजीनियरों और ठेकेदार के घर पर छापा मारा। ईडी ने सात मई को भी कुछ इंजीनियर और ठेकेदार के ठिकानों पर छापा मारा। आठ मई, 2024 को इडी ने सचिवालय स्थित संजीव लाल के कमरे में छापा मारा। संजीव लाल के कमरे की तलाशी के लिए पहली बार कोई केंद्रीय जांच एजेंसी छापेमारी के लिए सचिवालय में घुसी थी। इस छापेमारी में कुल 37 करोड़ रुपये जब्त किये गये। ईडी की पूछताछ के दौरान मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल ने स्वीकार किया कि पैसे टेंडर मैनेज करने से जुड़े हुए हैं। यह भी बताया है कि टेंडर कमीशन के नाम पर किन-किन लोगों से रुपए लिए गए।
महज 3 महीने में 35 करोड़ से अधिक की वसूली- ईडी
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि विभाग ने महज 3 महीने के ठेकों के कमीशन में 35 करोड़ से अधिक की वसूली हुई है। इसके बाद से ही आलमगीर आलम की गिरफ्तारी लगभग तय मानी जा रही थी। ईडी ने अपनी जांच के बाद दावा किया है कि वीरेंद्र राम ने टेंडर में कमीशन के तौर पर मेसर्स लार्डस इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक महेंद्र गोप से साल 2022 के नवंबर महीने से जनवरी 2023 के बीच 4.50 करोड़ का कमीशन लिया। जिसे उन्होंने अपने परिजनों के अलग-अलग बैंक खाते में डलवाया था।