रांची
जल संसाधन मंत्री चंपाई सोरेन ने आज विभागीय समीक्षा बैठक में कहा कि सोलर पॉवर के जरिए हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाया जायेगा। इसके लिए हजारीबाग में पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है। कहा कि विभिन्न लिफ्ट इरिगेशन की योजनाएं बिजली पर निर्भर रहती हैं, जिनका बिल किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। इस परिस्थिति में ये योजना एक बड़ा बदलाव साबित होगी। योजना का उद्घाटन इसी महीने किया जाएगा। इसके बाद, पूरे राज्य में इस तकनीक द्वारा किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश के किसानों को सालों भर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध करवाने हेतु भविष्य में पाइप लाइन आधारित सिंचाई व्यवस्था लागू करने की जरूरत पर जोर दिया।
बता दें कि पाइप लाइन/ मेगा लिफ्ट परियोजना द्वारा ऊंचे स्थानों पर भी सिंचाई की सुविधा दी जाती है। योजना को 3 वर्षों में पूरा किया जा सकता है। इन परियोजनाओं में पाइपलाइन द्वारा आसपास के सभी तालाबों को भरने की सुविधा रहेगी, ताकि स्थानीय किसान उन जल स्त्रोतों का उपयोग कर सकें। इस बैठक के दौरान चंपाई ने सिंचाई परियोजनाओं के विस्थापितों के पुनर्वास से संबंधित लंबित मामलों का शीघ्र निष्पादन करने तथा हर विस्थापित परिवार को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभाग के पास काफी खाली जमीन उपलब्ध है, जिस पर सोलर पैनल लगा कर, विभाग को बिजली उत्पादन की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि झारखंड में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं द्वारा 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैले खेतों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई जा रही है। सिर्फ कोल्हान प्रमंडल में स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना द्वारा 50,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के किसानों को खेतों में जल मिल रहा है। इन सिंचाई परियोजनाओं ने राज्य के लाखों किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है। कहा, झारखंड में औसतन 1300 mm वर्षा होती है। लेकिन पठारी क्षेत्र होने की वजह से अधिकतर जल नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है। बेहतर जल प्रबंधन द्वारा हम काफी जल संचय कर सकते हैं, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। चंपाई ने विभागीय अधिकारियों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने तथा सिंचाई लक्ष्य के साथ-साथ जल संचय का लक्ष्य भी निर्धारित करने का सुझाव दिया है।