द फॉलोअप डेस्क, रांची:
झारखंड की राजधानी रांची में जल संकट गहराने वाला है। अभी गर्मी की शुरुआत ही हुई है और रांची की स्थिति चिंताजनक है। शहरी क्षेत्र में पहले 250-300 फीट बोरिंग करने पर पानी मिल जाता था वह और नीचे चला गया है। मेन रोड, लालपुर, कोकर समेत कुछ इलाकों को छोड़कर बाकी जगह 4 से 500 फीट नीचे पानी मिल रहा है। बोरिंग करने वालों ने बताया कि पिछले साल कांके रोड, पिस्कामोड़, बोड़ेया के कई इलाकों में 800-1000 फीट पर पानी मिल रहा था। जबकि, शहर के रातू रोड, पंडरा कई जगह पर 500 फीट में पानी मिल रहा है।
राज्य में 3.65 बढ़ा भूजल का दोहन
केंद्रीय भूजल बोर्ड की जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में भूजल का दोहन बीते 7 वर्ष में 3.65 फीसदी बढ़ा है। 2017 में निकासी 27.73 थी, जो 2023 में 31.38 फीसदी हो गई। पहले जहां रांची शहरी क्षेत्र में भूजल का स्तर चिंताजनक था, रिपोर्ट में ओरमांझी भी सेमी क्रिटिकल जोन में आ गया है। आंकड़ों के अनुसार रांची में भूजल की निकासी 46.94 फीसद है, जो राज्य में सिर्फ धनबाद व कोडरमा जिले से ही कम है।
क्या-क्या है जल स्रोत
रांची जिले के 18 प्रखंड में 19,817 तालाब हैं। इनमें सरकारी तालाबों की संख्या 454 और निजी तालाब 12,778 हैं। डोभा 6500 हैं। वहीं, प्रमुख नदियों की बात करें तो इनमें स्वर्णरखा, बादू, बोड़ेया, कोयल, कांची, पोटपोटो जुमार शामिल हैं, जो जलस्रोत के माध्यम भी हैं। राज्य में जल संरक्षण को लेकर डोभा योजना की शुरुआत की गई थी लेकिन, अधिकतर प्रखंडों में खोदे गए डोभा सूख गए हैं। जलाशयों की साफ-सफाई भी ना के बराबर हो रही है। गेतलसूद डैम से बड़ी आबादी को जलापूर्ति की जाती है लेकिन, इस डैम में जलकुंभी का अंबार लगा है।
कई पंचायते ड्राई जोन घोषित
ग्रामीण क्षेत्रों में भी भूजल का दोहन तेजी से बढ़ा है। बीते 7 साल में अलग-अलग प्रखंडों में भूजल का स्तर करीब 4 से 40 फीट तक गिरा है। अनगड़ा प्रखंड की कई पंचायतें ड्राई जोन घोषित हो गई हैं। इनमें सुरसू, टाटी-सिंगारी शामिल हैं। वहीं, सिल्ली प्रखंड की बात करें तो यहां जोन लोवपीडी तथा चोकेसेरेंग गांव में 1000 फीट के बाद भी पानी नहीं मिल रहा। चोकेसेरेंग गांव के हालात ऐसे हैं कि यहां के लोग एक किमी दूर स्वर्णरेखा नदी से पानी लाने को विवश हैं। सोनाहातू प्रखंड के नीमडीह में 700 फीट के बाद भी पानी नहीं मिलता है।