द फॉलोअप डेस्कः
मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी को 25 मार्च को ही कोर्ट में सरेंडर करना था। लेकिन उसने बचने के लिए गलत कोरोना रिपोर्ट रांची के पीएमएलए कोर्ट में जमा की थी। जब ईडी के रांची जोनल ऑफिस ने रिपोर्ट की जांच की तो पाया कि इलाज से संबंधित जो जानकारी और कोविड सर्टिफिकेट जमा की थी वह गलत थी। इसी मौके का फायदा उठाकर संजय तिवारी फरार हो गया था। इधर गलत कोविड रिपोर्ट को लेकर रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक ने संजय तिवारी खिलाफ बरियातू थाना में एफआईआर किया है। संजय तिवारी की फर्जी कोविड रिपोर्ट बनाने वाले रिम्स कर्मी सहित दो लोगों को पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया है।
रिम्सकर्मी की मिलीभगत से से बनी फर्जी रिपोर्ट
रिम्सकर्मी का नाम प्रियरंजन रवि है, जबकि दूसरा आरोपी संजय तिवारी का चचेरा भाई अमरदीप है। दोनों की गिरफ्तारी बरियातू पुलिस ने की है। संजय के चचेरे भाई अमरदीप ने ही रिम्स कर्मी प्रियरंजन के साथ मिलकर फर्जी कोविड रिपोर्ट संजय तिवारी के नाम से बनवाया था। रिम्सकर्मी ने एतवा टोप्पो नाम के व्यक्ति द्वारा दिए गए नमूने की रिपोर्ट में हेरफेर कर संजय तिवारी के नाम से एसआरएफआईडी में अपलोड किया था। इसमें संजय तिवारी का नाम और नंबर था। ताकि आईसीएमआर पर संजय तिवारी को कोविड पीड़ित होने का डिजिटल रिपोर्ट मिल सके। ईडी ने जब इस मामले की जांच की तो पूरा मामला सामने आया।
संजय तिवारी ने किया सरेंडर
बता दें कि संजय तिवारी ने ईडी कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। 31 मार्च को संजय तिवारी के खिलाफ वारंट जारी हुआ था। जिसके बाद ईडी उसकी तलाश कर रही थी। संजय तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने प्रोविजनल जमानत दी गई थी जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी थी। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने 16.35 करोड़ रुपए जमा करने की शर्त पर उसे चार सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी। लेकिन वह राशि नहीं जमा कर पाया था। गौरतलब है कि झारखंड में मिड डे मील की 100 करोड़ के घोटाले मामले में आरोपी संजय तिवारी के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। संजय तिवारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए ईडी ने रांची पुलिस को पत्र लिखा था। इसके बाद रांची पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली थी।
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