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तीन हजार करोड़ भूमि-मुआवजा घोटाला : HC ने CBI को प्रतिवादी बनाने का दिया निर्देश

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द फॉलोअप डेस्क

झारखंड हाईकोर्ट में 27 मार्च सोमवार को हजारीबाग में NTPC द्वारा जमीन अधिग्रहण मामले के दौरान हुए 3 करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाले मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा के बेंच में हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता मंटू सोनी, अनिरुद्ध कुमार की ओर से अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता और मदन कुमार ने कोर्ट में CBI को प्रतिवादी बनाने का आग्रह किया। इस दौरान चीफ जस्टिस के बेंच ने पूरे मामले को सुनने के बाद CBI को प्रतिवादी बनाने की मांग  को स्वीकार कर लिया। वहीं, इस मामले की अगली सुनवाई अब दो सप्ताह बाद होगी।

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राज्य सरकार द्वारा दबा दिया गया था SIT रिपोर्ट

जानकारी के मुताबिक हज़ारीबाग़ में भूमि-मुआवजा से सम्बंधित गड़बड़ियां सामने आने के बाद वर्ष 2016 में तत्कालीन डीसी मुकेश कुमार के अनुसंशा पर राज्य सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्य SIT टीम गठित किया था। जिसके बाद SIT की टीम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट में 3 हजार  करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले किए जाने और 300 करोड़ मुआवजा बांट दिए जाने की जानकारी दी थी। बतया गया कि राज्य सरकार द्वारा SIT रिपोर्ट दबा दिया गया था। राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ NTPC के प्रबंध निदेशक और हज़ारीबाग़ डीसी को पत्राचार किया गया है। SIT रिपोर्ट से राज्य सरकार इतना घबराई हुई है कि अब तक देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किया है। रिपोर्ट में बताया गया था कि कई रसूखदारों द्वारा सरकारी गैर मजरुआ खास-आम भूमि, सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन, श्मशान घाट, स्कूल, मैदान आदि जमीनों का भी फर्जी कागजात बनाकर मुआवजा का बंदरबांट किया गया था।

NTPC  के ओर से नहीं दिया गया कोई जवाब

वहीं, देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली SIT रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होने पर मंटू सोनी ने इसकी शिकायत पीएमओ से की थी । बताया गया कि पीएमओ की ओर से मुख्य सचिव को कार्रवाई करने और कार्रवाई की रिपोर्ट तलब करने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इधर, राज्य सरकार द्वारा SIT रिपोर्ट के बाद NTPC को कई बार पत्राचार किया गया। लेकिन, NTPC  के ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। वहीं,  NTPC ने अपनी सफाई में कहा कि कहा कि हमने जो मुआवजा वितरण किया है वह राज्य सरकार के अधिकारियों के क्लियरेंस देने के बाद किया है। लेकिन, इस सवाल का जवाब देने से बचती रही कि मुआवजा वितरण से पूर्व जमीन का भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया।

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