द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड से मानसून जैसे रूठ सा गया है। जुलाई का महीना आ गया है और अब तक खुलकर बारिश नहीं हुई। पिछले नौ सालों में बीते माह जून में सबसे कम बारिश हुई। इस बार मानसून जून में एक दिन भी झमाझम बारिश नहीं हुई। इस बार जून में मानसून केवल 39 फीसदी ही बरसा। राज्य में इस दौरान 73.5 मिमी बारिश हुई। इस बार का मानसून जून के दौरान 2019 के कमजोर मानसून से भी पिछड़ गया है। इस बार बारिश में कमी का प्रतिशत बढ़कर 61 फीसदी पहुंच गया है। इस बार भी जून महीने में मानसून कमजोर रहा है। जून महीने में दक्षिण अमेरिका के पेरू तट पर अल नीनो फैक्टर के कारण कम वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गई थी। अब जुलाई में इसमें परिवर्तन आने वाला है। अब यहां अल नीनो प्रभाव समाप्त होगा और अगले तीन माह जुलाई, अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश होने का अनुमान है।
मौसम वैज्ञानियों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ रहा है। गर्मी के दिन बढ़ रहे हैं। बारिश और जाड़े के सीजन भी प्रभावित हो रहे हैं। यही कारण है कि झारखंड में मानसून कमजोर हो रहा। हालांकि, इस पर अभी बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी का सीजन लंबा हो रहा है। तापमान बढ़ रहा है। ठंड वाले दिनों में कमी आ रही है।
इधर राजधानी रांची सहित राज्य के अन्य जिलों में बूंदाबांदी से तापमान में गिरावट देखी गई। मौसम विभाग ने 3 जुलाई तक राज्य के कई जिलों में गरज से भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी की है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में झारखंड के अन्य जिलों में बारिश की संभावना जताई है। लेकिन बारिश किसानों के चेहरे में मुस्कुराहट ले आई है। दरअसल, पिछले कई दिनों से बारिश के नहीं होने से किसानों के चेहरे में मायूसी छाई हुई थी।