रांची
आज संविधान दिवस के मौके पर जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने पीसी कर कहा कि संविधान हमारे देश के लोकतंत्र का मूल धर्म है। इसका जो स्वरूप है, उसे अंगीकार करते हुए संघीय व्यवस्था में हम विश्वास रखते हैं। इसमें राज्यों को अपनी पहचान कायम रखने का अधिकार है। इसी तरह केंद्र के अपने अधिकार हैं। कहा कि एक तीसरा अधिकार है जो दोनों को अधिकृत करता है। कहा कि संविधान के इस स्वरूप में कई संस्थाओं को काम करने का दिशा निर्देश है। भारतीय संसद प्रधान व्यवस्था है। इसमें न्यायपालिका की अलग व्यवस्था की गयी है। निर्वाचन आयोग, महालेखाकार सहित बहुत सारी संस्थाएं हैं जिनका गठन संविधान के तहत किया गया है।
सुप्रियो ने आगे कहा कि आज जिस प्रकार इन संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं, वो चिंताजनक हैं। कहा कि कल जब संसद शुरू हुआ तो पक्ष विपक्ष दोनों के अधिकार और दिशा निर्देश के तहत बाते हुईं। लेकिन केंद्र सरकार के लिए ये चुभने वाली बात साबित हुई है। पीएम ने विपक्ष को कहा कि ये जनता के द्वारा नकारे हुए हैं। यानी आप बहुमत में नहीं हैं। आपके खिलाफ जो लोग हैं वो भी स्वीकारे हुए लोग हैं। मतदाता के द्वारा स्वीकारे हुए जनप्रतिनिधि हैं। हमारा संविधान घमंड को स्थान नहीं देता है। कहा कि हम 75 वर्ष के संविधान को लेकर खड़े हैं। समय के साथ इसमें कई संशोधन हुए। कई कानून परिभाषित हुए। पारित किए गए। नए कानून में भी संसद ने संशोधन किया।
सुप्रियो ने कहा कि 28 नवम्बर को जब झारखंड में शपथ ग्रहण होगा, तो इसमें भी कई नकारे हुए लोग होंगे। कहा, संसद में विपक्ष में कौन लोग हैं जो नकारे हुए हैं, इसी गुरूर का जवाब झारखंड ने दिया है। कहा इससे सबक लेना चाहिए। पीएम संसद में कौन सी भाषा बोलते हैं, ये देखा जा सकता है। कहा कि वे किसानों की शहादत पर सवाल उठाते हैं। पुलवामा के शहीदों को चुनावी हथियार बनाया गया।
कहा कि झारखंड में चुनाव के दौरान बीजेपी के नेताओं की ओर से जिस तरह की भाषा बोली गई, उस पर चुनाव आयोग चुप रहा, ये चुप्पी सवाल पैदा करने वाली है। कहा कि देश में संविधान के बदले मनु संहिता लागू करने की तैयारी हो रही है। इसके खिलाफ लड़ाई लड़ना और भारत के संविधान को बचाए रखना हम सब की जिम्मेवारी है। कहा, हम संविधान से छेड़छाड़ या किसी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।