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Ranchi : सजा होने के बाद विधायकी गंवाने वाले झारखंड के विधायकों की कहानी, पढ़िए रिपोर्ट

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रांची: 

बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के 11 साल पुराने मामले में सोमवार को 3 साल की सजा सुनाई गई। बंधु तिर्की पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। चूंकि, बंधु तिर्की को 3 साल की सजा सुनाई गई है और प्रावधानों के मुताबिक 2 साल से अधिक की सजा होने पर विधानसभा की सदस्यता जा सकती है। इस खबर में बात करेंगे ऐसे ही विधायकों की जिनकी सदस्यता गई। 

आजसू के कमल किशोर भगत
कमल किशोर भगत लोहरदगा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते थे। कमल किशोर भगत आजसू पार्टी के विधायक थे। जून 2015 में उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी। दरअसल, कमल किशोर भगत को 21 साल पुराने एक मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई थी।

कमल किशोर भगत को मशहूर डॉक्टर केके सिन्हा पर हमला करने, उनके साथ मारपीट करेन तथा रंगदारी मांगने के मामले में सजा सुनाई गई थी। उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गता था। कमल किशोर भगत का निधन हो चुका है। 17 नवंबर 2021 को कमल किशोर भगत अपने कमरे में मृत पाए गये थे। 

एनोस एक्का की भी गई थी विधायकी
एनोस एक्का का नाम भी उन नेताओं की फेहरिश्त में शामिल है जिनको अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा था। गौरतलब है कि एनोस एक्का को 2018 में पारा टीचर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। एनोस एक्का पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। सजा सुनाए जाने के बाद एनोस एक्का की विधायकी खत्म हो गई थी। धनेश बड़ाईक को भी मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। एनोस एक्का कोलेबिरा विधानसभा सीट से विधायक थे। 

अमित महतो ने भी गंवाई थी सदस्यता
सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो को भी सजा सुनाए जाने के बाद विधायकी गंवानी पड़ी थी। अमित महतो को रांची की एक अदालत ने अंचलाधिकारी के साथ मारपीट करने के मामले में 2 साल सश्रम की सजा सुनाई थी। उन पर 45 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। अदालत ने उनको जमानत पर रिहा किया लेकिन विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी।

तब यहां हुए उपचुनाव में अमित महतो की पत्नी सीमा देवी ने सुदेश महतो को हराया। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में सुदेश महतो ने यहां से जीत हासिल की। हाल ही में खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति की मांग को लेकर अमित महतो चर्चा में आए। अमित महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया। 

योगेंद्र प्रसाद की भी सदस्यता हुई थी रद्द
योगेंद्र प्रसाद जोकि गोमिया विधानसभा क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक थे, इन्हें भी सदस्यता गंवानी पड़ी थी। योगेंद्र प्रसाद को 2018 में रामगढ़ जिले में कोयला चोरी के एक मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी। योगेंद्र प्रसाद की ना केवल सदस्यता रद्द हो गई बल्कि अगले 9 साल तक चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।

उपचुनाव में योगेंद्र प्रसाद ने अपनी जगह अपनी पत्नी बबीता देवी को चुनावी मैदान में उतारा और जीत हासिल की। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी के लंबोदर महतो ने बबीता देवी को हरा दिया।