द फॉलोअप डेस्क
झारखंड सरकार निजी प्लेसमेंट एजेंसियों और घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कठोर कानून बनाने जा रही है। यह विधेयक राज्य विधानसभा के आगामी बजट सत्र में पेश किया जाएगा, जिसे श्रम मंत्री संजय प्रसाद यादव ने मंजूरी दे दी है। विधेयक का उद्देश्य इन एजेंसियों और कामगारों के अधिकारों का उल्लंघन रोकना है। इसके तहत उल्लंघन करने वालों को 6 माह की सजा और 3 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
विधेयक तैयार करने में श्रम विभाग की अहम भूमिका
इस विधेयक को तैयार करने में श्रम नियोजन, प्रशिक्षण व कौशल विकास विभाग ने अहम भूमिका निभाई है। अब इसे कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद विधानसभा में पेश किया जाएगा, और फिर राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह अधिनियम के रूप में लागू होगा। इसके प्रभावी होने के बाद राज्यभर में यह कानून लागू होगा, और इसके तहत श्रम अधीक्षक श्रेणी के अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे। पूर्व राज्यपाल ने की थी सिफारिश
यह विधेयक 2016 में पास किए गए घरेलू कामगारों के हितों से संबंधित एक पुराने बिल में नए कठोर प्रावधानों के साथ पेश किया गया है। उस समय तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कठोर प्रावधान जोड़ने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में केंद्र सरकार से घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया।
विधेयक के अनुसार, प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए लाइसेंस या प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा। यदि वे आठ घंटे से ज्यादा काम लेते हैं, तो कामगार को प्रति घंटे का दोगुना भुगतान करना होगा। इसके अलावा, एजेंसियों को कामकाजी व्यक्तियों का विवरण और उनके स्थान का उल्लेख भी करना होगा। घरेलू कामगारों के लिए भी इसी तरह की प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य होगा।
इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी एजेंसी या कामकाजी व्यक्ति को बिना निबंधन प्रमाणपत्र के काम करने की अनुमति नहीं होगी, और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को काम पर नहीं रखा जाएगा।