द फॉलोअप डेस्क
कलाकारों, साहित्यकारों व नाट्य अभिनय से जुड़े लोगों की वर्षों पुरानी मांग अब शायद पूरी हो जाएगी। राज्य सरकार झारखंड राज्य साहित्य अकादमी, झारखंड राज्य संगीत-नाटक अकादमी और झारखंड राज्य ललित कला अकादमी के गठन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है। पर्यटन, कला संस्कृति एवं खेल कूद विभाग ने तीनों अकादमियों के गठन का प्रस्ताव स्वीकार कर सरकार को भेजा है। वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद इस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी। उसके बाद संभवतः 25 वर्ष पुरानी मांग धरालत पर उतर आएगी।
जानकारी के अनुसार प्रस्ताव में केंद्र सरकार की तर्ज पर तीनों अकादमियों के गठन का प्रस्ताव दिया गया है। इससे पूर्व राज्य सरकार के कलाकारों, साहित्यकारों, नाट्यकर्मियों के भी सुझाव लिए गए हैं। उनके परामर्श को प्रस्ताव में शामिल किया गया है। अकादमियों के गठन से राज्य में साहित्यकारों, कलाकारों एवं नाट्य कर्म से जुड़े लोगों को एक सरकारी मंच और सुविधाएं प्राप्त होने लगेंगी।
अलग राज्य गठन के बाद से ही झारखंड में साहित्य सहित संगीत-नाटक तथा ललित कला एकेडमी के गठन की मांग विभिन्न संगठनों के माध्यम से होती रही है। साहित्य एकेडमी के गठन के लिए स्थापना संघर्ष (तदर्थ) समिति का गठन किया गया है। कई संगठनों ने मुख्यमंत्री से मिल कर गठन की भी मांग रखी थी। संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिरोमणि महतो सहित पूर्व विधायक विनोद सिंह, कलाकार बासु बिहारी ने भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिल कर तीनों एकेडमी के गठन की मांग की थी। उस समय मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने सदस्यों को आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही इस दिशा में कार्रवाई होगी।
अकादमियों के गठन से क्या होगा लाभ
साहित्य और ललित कला अकादमियाँ अलग-अलग काम करती है। साहित्य अकादमी साहित्यिक कार्यों को बढ़ावा देती है, जबकि ललित कला अकादमी दृश्य कलाओं को बढ़ावा देती है।
साहित्य अकादमी (Sahitya Akademi): जिस तरह केंद्रीय साहित्य अकादमी का मुख्य काम साहित्य के विकास और प्रचार को बढ़ावा देना है। यही काम झारखंड में भी साहित्य अकादमी विभिन्न क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं के विकास के लिए करेगा। अन्य भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं को क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं में अनुवाद कराएगा। साथ ही साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा।
ललित कला अकादमी (Lalit Kala Akademi): इसी तरह ललित कला अकादमी झारखंडी कला संस्कृति को बढ़ावा देने, प्रचार करने और उसके विकास का प्रयास करेगा। यह मूर्तिकला, चित्रकला, ग्राफिक्स, वास्तुकला आदि जैसे विभिन्न ललित कला रूपों को बढ़ावा देगा। साथ ही यह समय समय पर कला प्रदर्शनी का आयोजन करेगी। कलाकारों को छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण का भी काम करेगी। विदेशों तक झारखंडी कला संस्कृति को पहुंचाने में मदद करेगी।