द फॉलोअप डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और अन्य 28 भाजपा नेताओं के खिलाफ झारखंड सचिवालय घेराव मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए बार-बार सीआरपीसी की धारा 144 का इस्तेमाल करना गलत है। कोर्ट ने इसे धारा 144 का दुरुपयोग बताया।
क्या है मामला
11 अप्रैल 2023 को भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों के खिलाफ सचिवालय घेराव किया था। इसे रोकने के लिए पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी थी। प्रदर्शन के दौरान झड़पें हुईं, जिसमें 60 से अधिक लोग घायल हुए। एफआईआर में भाजपा नेताओं पर दंगा भड़काने, सरकारी काम में बाधा डालने और हिंसा फैलाने के आरोप लगाए गए।
क्या था हाईकोर्ट का फैसला
28 भाजपा नेताओं ने एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने 14 अगस्त 2024 को एफआईआर को रद्द कर दिया था। झारखंड सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही मानते हुए झारखंड सरकार की याचिका खारिज कर दी।