रांची:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) का फैसला राज्यपाल के पास पहुंच चुका है। राज्यपाल (Governor) कभी भी फैसले को सार्वजनिक कर सकते हैं। इस बीच विभिन्न राजनेताओं की प्रतिक्रिया इस पर आ रही है।
अब पूर्वी जमशेदपुर (East Jamshedpur) से निर्दलीय विधायक और पूर्व मंत्री सरयू रॉय (Saryu Roy) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। सरयू रॉय ने कहा कि अति विश्वस्त सूत्रों के अनुसार निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को विधायक पद से अयोग्य करार दिया है। विधायक बनने के लिए अयोग्य घोषित होने की सूचना राजभवन से निकलते ही त्याग पत्र देना होगा या माननीय न्यायालय से इस अधिसूचना पर स्थगन आदेश प्राप्त करना होगा।
जहां तक मेरा अनुमान है अयोग्य ठहराने की अधिसूचना राजभवन से निकलते ही @HemantSorenJMM इसके विरूद्ध हाईकोर्ट/सुप्रीम कोर्ट जाएँगे. उन्हें जाना भी चाहिए.यदि मुख्यमंत्री रहते न्यायालय से तुरंत स्थगन आदेश नहीं मिला तो मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद भी वे न्यायिक लड़ाई लड़ सकते हैं.
— Saryu Roy (@roysaryu) August 25, 2022
3 वर्षों तक चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है!
एक अन्य ट्वीट में सरयू रॉय ने लिखा है कि भारत के निर्वाचन आयोग ने झारखंड के राज्यपाल के पास अपनी अनुशंसा भेज दिया है कि हेमंत सोरेन भ्रष्ट आचरण के दोषी पाये गये हैं. फलतः ये विधायक नहीं रह सकते। इन्हें अगले तीन वर्षों तक विधायक (Assembly Election) का चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जा सकता है। सरयू रॉय का ये दावा काफी बड़ी बात है।
फैसले के विरुद्ध कोर्ट जा सकते हैं सीएम हेमंत
सरयू राय ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा है कि जहां तक मेरा अनुमान है अयोग्य ठहराने की अधिसूचना राजभवन से निकलते ही हेमंत सोरेन इसके विरूद्ध हाईकोर्ट (High Court) या सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाएंगे। उन्हें जाना भी चाहिए। सरयू रॉय का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री रहते न्यायालय से तुरंत स्थगन आदेश नहीं मिला तो मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद भी वे न्यायिक लड़ाई लड़ सकते है।
अनगड़ा में 88 डिसमिल खनन पट्टा लीज का मामला
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर खनन पट्टा का लीज लेने का आरोप लगा था। बीजेपी ने राज्यपाल से इसकी शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए खनन पट्टा का लीज हासिल किया।
राज्यपाल ने इसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पास भेजा और राय मांगी। इधर, मुख्यमंत्री की तरफ से दलील दी गई कि 2008 में 10 वर्षों के लिए खनन पट्टा का लीज मिला था। 2018 में इसका रिन्युअल नहीं कराया गया। बाद में जब रिन्युअल हुआ तो खनन की अनुमति नहीं मिली, तो लीज को सरेंडर कर दिया।