रांचीः
पिछले 17 दिनों से राज्य के तमाम एएनएम और जीएनएम राज भवन के सामने धरना पर बैठे हैं। इनमें से 21 अनुबंध कर्मी 10 दिनों से आमरण अनशन कर रहे हैं। आज अनुबंध कर्मियों का झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने भी समर्थन किया। एनएचएम कर्मियों के मांगों के समर्थन में नियमित कर्मियों ने भी एक दिन कार्य बहिष्कार किया। इस कारण पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था ठप रही । महासंघ के महामंत्री ने मांग की है कि सभी स्वास्थय क्षेत्र से जुड़े अनुबंध कर्मियों को नियमित किया जाए, क्योंकि सरकार इसी वादे के साथ सत्ता में आई थी। इधर आज सुबह से ही अनशन कारियों की कतार सदर अस्पताल की ओर लगी रही। एक के बाद एक सबसे पहले ममता कुमारी, धरनी कुमारी, ललिता कुमारी, विनय कुमार सिंह, अंजलीना खाका को भी सदर अस्पताल भेजा गया। अब तक की तस्वीर देख कर ऐसा ही लग रहा है अब सभी अनशनकारी को अस्पताल में ही शिफ्ट किया जाएगा। आज जब हमने धरना पर बैठे एएनएम से बात की तो उनका कहना था कि सरकार कि तरफ से उनको लेकर कोई सार्थक पहल नहीं किया जा रहा है। । हालांकि अभियान निदेशक एनएचएम के द्वारा आज भी बुलाया गया था और बातें चल रही है। बता दें कि 10 दिनों से कुछ नहीं खाने पीने की वजह से सब की तबीयत काफी खराब होती जा रही है। अगर समय पर खाना-पीना नहीं शुरू करेंगे तो हालत गंभीर हो सकती है। वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उन्हें नियमित नहीं किया जाएगा। तब तक वह धरना पर बने रहेंगे। जब इन 21 की तबीयत खराब हो जाएगी तो नए सिरे से फिर 21 लोग अनशन पर बैठेंगे।
जान जोखिम में डालकर की है लोगों की सेवा
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि धरने के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग आ रहे हैं। सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं लेकिन कोई ठोस पहल हमें लेकर नहीं किया जा रहा है। हालांकि धरना कर रहे अनुबंध कर्मियों को उम्मीद है कि इस बार की 9 फरवरी को कैबिनेट की बैठक में उनको लेकर कोई सकारात्मक पहल सरकार की तरफ से किया जाएगा। अनुबंध पर कार्यरत तमाम एएनएम जीएनएम का कहना है कि जो मानदेय इस वक्त उनको मिलता है इससे उनका गुजारा नहीं होता है। पिछले 16 साल से वह राज्य में अपनी सेवा दे रहे हैं। कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था। कोई अपने घर से नहीं निकल रहा था। उस वक्त भी उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की है और आज तक सरकार उन्हें एक अच्छी सैलरी नहीं दे पाई। जबकि सरकार इसी वादे के साथ सत्ता में आई थी कि उनको नियमित किया जाएगा लेकिन उनको लेकर कोई कदम सरकार नहीं उठा रही है।