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चीनियों के साथ मिलकर भारतीयों को चूना लगा रहा था रांची का योगेश, ठगी में फिक्स था कमीशन

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द फॉलोअप डेस्कः
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर वॉट्सएप पर ब्लैकमेल कर ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपितों में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया स्थित बाकुड़ा का विशाल शर्मा, झारखंड के रांची के हरमू का विशाल वर्मा, हाउसिंग कालोनी हरमू का आशीष कुमार, पंडरा ओपी क्षेत्र के बाजरा का रहने वाला अंकित कुमार अग्रवाल व हरमू रोड किशोरगंज के मकान संख्या 70 का निवासी योगेश अग्रवाल शामिल हैं। 


ऐसे करते थे ठगी
पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि गिरफ्तार योगेश अग्रवाल इस गिरोह का प्रमुख है जो फर्जी पते पर बैंक खाता खुलवाता था और उसे चीन के साइबर अपराधियों को सप्लाई करता था। इन खातों में अवैध लेन-देन होता था, जिसको सभी साइबर अपराधी एक-दूसरे के खाते में हस्तांतरित करते थे। इस मामले में साइबर अपराध थाने में तीन जून को दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज हुईं थीं। इनमें एक प्राथमिकी सांमलौंग रांची की मनीषा प्रकाश व दूसरी प्राथमिकी बरियातू के रविकांत मिश्रा ने दर्ज कराई थी। इन दोनों प्राथमिकियों में आए नए तथ्यों के आधार पर साइबर अपराध थाने में पांच जून को तीसरी प्राथमिकी दर्ज की गई है।


बरियातू के रविकांत मिश्रा को ब्लैकमेल कर 26 लाख 97 हजार की ठगी
रांची के बरियातू निवासी रविकांत मिश्रा को वॉट्सएप पर ट्राई, सीबीआइ, दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारी बनकर साइबर अपराधियों ने फोन किया था। अपराधियों ने उनसे कहा कि उनके मोबाइल नंबर के विरुद्ध अवैध विज्ञापन, उत्पीड़न व इनके बैंक खाते के विरुद्ध अवैध लेन-देन का मामला दर्ज हुआ है। उक्त केस को मैनेज करने के लिए पीड़ितों को अलग-अलग बैंक खाते में पैसे जमा करने के लिए बोला। ऐसा नहीं करने पर इनके पूरे परिवार को 90 दिनों के भीतर गिरफ्तार करने की धमकी दी। इसके बाद 12 दिनों में शिकायतकर्ता से साइबर अपराधियों ने अलग-अलग खाते में 26 लाख 97 हजार रुपये जमा करवा लिया।


साइबर अपराधियों ने दूसरी शिकायतकर्ता रांची के सामलौंग की रहने वाली गृहणी मनीषा प्रकाश को 26 लाख 90 हजार का चूना लगाया। अपराधियों ने पीड़िता को इंस्टाग्राम पर निवेश का ऑफर दिया। उसके बाद वॉट्सएप वर्चुअल नंबर 1(213) 272-8000 से बल्क एंजेल प्रो नामक एप डाउनलोड करवाकर अलग-अलग बैंक खाते में जमा करने के लिए बोला। इस प्रकार ज्यादा लाभ का प्रलोभन देते हुए साइबर अपराधियों ने कुल 26 लाख 90 हजार रुपये का अवैध हस्तांतरण कर ठगी कर लिया।

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