रांची
बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के आरोपों का रांची पुलिस ने जवाब दिया है। रांची पुलिस ने अपने एक्स हैंडल के जरिये बाबूलाल के आरोपों का खंडन किया है। रांची पुलिस की ओर से कहा गया है कि आपके द्वारा रांची पुलिस के ऊपर लगाए गए सभी आरोप तथ्य से सर्वथा परे और निराधार हैं। पुलिस की ओर से सभी जिम्मेदारियों का सम्यक निर्वहन किया गया है। सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध वीडियो फुटेज का यदि निष्पक्ष अवलोकन किया जाए तो ज्ञात होगा कि रांची पुलिस ने महत्तम संयम का परिचय देते हुए, विधि-व्यवस्था संधारण के लिए आवश्यक न्यूनतम बल प्रयोग किया है। वरीय पुलिस अधीक्षक और अन्य पदाधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं से लगातार अनुरोध किया जा रहा था कि वे पत्थर न चलाएं, बैरिकेड न तोड़ें और अपना कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से चलाएं।
सांसदों और विधायकों से भी अनुरोध किया जा रहा था कि वे कार्यकर्ताओं को ऐसा करने से रोकें परंतु इसके बावजूद पुलिसकर्मियों पर बड़े पत्थर बरसाए गए और बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास जारी रहा। इससे कुछ पुलिस पदाधिकारी और कर्मी घायल भी हुए हैं। कई कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकते समय भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। इस दृश्य के परिप्रेक्ष्य में मीडिया की ओर से पूछे जाने पर ही एसएसपी द्वारा यह बयान दिया गया था। इसे आपत्तिजनक कहना युक्तियुक्त नहीं होगा।
अपनी जिम्मेदारियों को छोड़, झामुमो कार्यकर्ता की तरह कार्य करने के भवदीय आरोप के संबंध में विदित है कि एसएसपी रांची जब सरायकेला-खरसावां के एसपी (2017-18) के रूप में पदस्थापित थे, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान पहुंचाने का प्रयास कर रहे झामुमो कार्यकर्ताओं को कड़ाई से न केवल रोका गया था बल्कि प्राथमिकी दर्ज कर तत्कालीन झामुमो जिलाध्यक्ष को हिरासत में भी भेजा गया था।मुख्यमंत्री का पद एक उच्चस्तरीय संवैधानिक पद है जिसकी सुरक्षा के सभी पहलू संवेदनशील होते हैं और इसके संधारण के लिए पुलिस को दृढ रहना ही पड़ता है।