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पेयजल स्वच्छता विभाग में हुए 22 करोड़ के घोटाले में चार को कोषागार पदाधिकारियो को निलंबित करने का आदेश

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द फॉलोअप डेस्क

स्वर्णरेखा परियोजना के रांची प्रमंडल में हुए लगभग 22 करोड़ के घोटाले में वित्त विभाग ने चार कोषागार पदाधिकारी को निलंबित करने का आदेश दिया है। बुधवार को इस घोटाले पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतर विभागीय जांच में जिन कोषागार पदाधिकारी को दोषी ठहराया गया है उन्हें संचिका पर उन्होंने निलंबित करने का आदेश दे दिया है। उनके नाम है मनोज कुमार सिन्हा सुनील कुमार सिन्हा फिर मनोज कुमार सिन्हा और मीरा कुमारी गुप्ता। मीरा कुमारी गुप्ता अब रिटायर्ड हो चुकी है। बुधवार को प्रदीप यादव के स्थगित ध्यानाकर्षण पर आज प्रश्न कल शुरू होते ही पेयजल विभाग में हुए इस घोटाले पर चर्चा शुरू हुई। प्रदीप यादव ने सरकार से पूछा की 7 दिनों में सरकार ने दोषियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की है। उल्लेखनीय है कि एक एक सप्ताह पूर्व सदन में यह विषय उठा था। सत्ता पक्ष के विधायकों ने दोषियों के विरुद्ध एफआईआर करने की मांग की थी। प्रभारी मंत्री ने की गई कार्रवाई और अग्रेटर कार्रवाई की जानकारी देने के लिए एक सप्ताह का समय लिया था। एक सप्ताह पूरा होने के बाद आज प्रदीप यादव ने फिर से यह सवाल उठाया।
प्रदीप यादव के सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने सदन को बताया कि पेयजल विभाग में 22. 79 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में रोकड़ पाल संतोष कुमार को निलंबित कर दिया गया था।इतना ही नहीं वित्त विभाग की अंतर विभागीय जांच कमेटी की अनुशंसा पर चिन्हित पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया। राशि की वसूली के लिए मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए एसीबी को लिखा गया है। एसीबी ने सदर थाना में दर्ज मुकदमे को टेक अप कर लिया है। साथ ही सरकार से दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अभियोजन स्वीकृति की मांग की गई है। योगेंद्र प्रसाद ने बताया की वित्त विभाग की जांच में कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर, अधीक्षण अभियंता प्रभात कुमार सिंह सहित कई अन्य अभियंताओं और पदाधिकारी को प्रथम दृष्टया दोषी बताया गया। इस मामले में निम्न वर्गीय लिपिक संजय कुमार को भी निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने अपने जवाब के क्रम में पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव पर भी यह टिप्पणी की कि श्री उरांव ने ही एसीबी जांच की अनुशंसा की थी। हालांकि उन्होंने एसीबी पर सवाल भी उठाए थे।इसके जवाब में रामेश्वर उरांव ने आज फिर कहा कि वह सीआईडी के चीफ रह चुके हैं। वह जानते हैं एसीबी का तीन काम। किसी को फांसाओ किसी को हंसाओ और दूध का दूध और पानी का पानी करो।हमने दूध का दूध और पानी का पानी करके दिखाया है।उनके कहने का यही आशय था कि एसीबी भी पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करके दोषियों को सजा दिलाए।
प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने अपने जवाब में कहा कि एसीबी भी जांच और पुलिसिया जांच की अनुशंसा की जा चुकी है। अब जांच रिपोर्ट आने पर सरकार कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया प्रदीप यादव 
प्रदीप यादव ने प्रभारी मंत्री के जवाब से असतोष जाहिर करते हुए कहा कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।वह भ्रष्टाचार के इस मामले में केवल जांच प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है। ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। मंत्री जोर से बोलकर सदन को चुप करा दिए यह काफी नहीं है। हम सरकार का हाथ पकड़ कर कार्रवाई नहीं करा सकते लेकिन भ्रष्टाचार के इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध नकेल कसनी चाहिए। प्रदीप यादव ने संतोष कुमार द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के 27पन्ने के जवाब को भी सदन में उद्धृत किया। उन्होंने बताया कि संतोष कुमार ने अपने जवाब में कई पदाधिकारी को पैसे देने की बात कही है। उन्होंने इसका प्रमाण भी दिया है।ऐसे पदाधिकारी के विरुद्ध क्या कार्रवाई हुई। उन्होंने सवाल उठाया की वित्त विभाग के जिन पदाधिकरियों की इसमें संलिप्तता रही उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई हुई। इसी के जवाब में वित्त मंत्री ने कोषागार पदाधिकारी के विरुद्ध की गई कार्रवाई से सदन को अवगत कराया।
 

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