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सुखद खबर : अफीम मुक्त जिले की राह पर बढ़ रहा है चतरा जिला, आंकड़े दे रहे गवाही

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चतरा: 

अफीम (Opium) की खेती और उससे संबंधित क्राइम के मामले में चतरा (Chatra) जिला हमेशा चर्चा में रहा। हालांकि सरकार ने इस नकारात्मक चर्चा को विराम देने और अफीम की अवैध खेती पर रोक लगाने का अभियान छेड़ दिया है। कई स्तरों पर चल रहे इस अभियान का असर भी दिखने लगा है। हालिया जारी आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। आंकडों से पता चलता है कि चतरा में अफीम की खेती में उल्लेखनीय कमी आई है। ये ना केवल चतरा जिले के लिए बल्कि पूरे झारखंड (Jharkhand) के लिए सुखद खबर है। 

जिला प्रशासन ने मुहैया करवाया आंकड़ा
चतरा जिला प्रशासन (Chatra District Administration) की तरफ से मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 170 गिरफ्तारियां हुईं और 2021 में यह आंकड़ा 300 का था वहीं 2022 (31 जून तक) में यह आंकड़ा मात्र 76 तक पहुंचा। अफीम की बरामदगी 2020 में 316 किलो से घट कर 2021 में 204 किलो और 2022 (31 जून तक) में मात्र 34 किलो तक पहुंची। जहां पिछले 2 वर्षों में 30 से भी अधिक वाहन प्रतिवर्ष जब्त हुए वहीं 2022 में 31 जून तक मात्र 2 वाहन जब्त हुए हैं।


अफीम मुक्त चतरा कैंपेन का दिखा असर
बता दें कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने जब बीते साल 1 अक्टूबर को चतरा के चोरकारी में नवनिर्मित पावर ग्रिड सब स्टेशन का उद्घाटन किया था तब साथ ही चतरा जिला प्रशासन द्वारा संचालित एक अनूठे कैंपेन का भी अनावरण किया था। ये कैंपेन था अफीम मुक्त चतरा अभियान।

 

लोगों को कैंपेन के जरिए जागरूक किया गया
अभियान के संचालक और मात्रा कंसल्टेंट्स प्रणव प्रताप सिंह बताते हैं, अफीम मुक्त चतरा नामक इस कैंपेन के द्वारा न सिर्फ अफीम के सेवन से व्यसनी को होने वाले शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभावों के बारे में अवगत कराया बल्कि इसके सामाजिक दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला क्योंकि, चतरा की मुख्य समस्या नशीले पदार्थों का सेवन नहीं बल्कि उसका उत्पादन था तो इस कैंपेन द्वारा इस धंधे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्त हर व्यक्ति को एनडीपीएस एक्ट के सख्त प्रावधानों के साथ ही ड्रोन कैमरा जैसे आधुनिक उपकरणों से प्रशासन की बढ़ती मुस्तैदी के बारे में जागरूक किया गया। 

मात्रा कंसल्टेंट्स को बनाया था नॉलेज पार्टनर
जिला प्रशासन ने मात्रा कंसल्टेंट्स को नॉलेज पार्टनर के रूप में नियुक्त किया था। प्रणव बताते हैं, चतरा में इस समस्या के पनपने के तीन मुख्य कारण हैं। पहला, यहां पूरे प्रदेश में सर्वाधिक 50 फीसदी जंगल क्षेत्र होने की वजह से लोगों को अफीम उगाने के लिए ऐसी ज़मीन आसानी से उपलब्ध है जो न तो निजी संपत्ति है न ही आसानी से पहुंची जा सकती है। ऐसे में प्रशासन को इन ठिकानों का पता लगाने में समय तो लगता ही है साथ पता लगने पर भी गिरफ़्तारी लगभग असंभव है। दूसरा मुख्य कारण है, एक मुख्य राज्यमार्ग से नज़दीकी और तीसरा सहायक बिंदु है राज्य सीमा से निकटता।

  
वो बताते हैं, स्थानीय लोग ना ही इसके सेवन के आदि हैं ना ही इसके मुख्य लाभार्थी हैं। यह सारा खेल राज्य के बाहर से चल रहा है, जो पूर्णतः स्थानीय जनता के शोषण पर आधारित है। इसलिए, यह लड़ाई स्थानीय जनता के साथ से लड़ी जानी है, उनके खिलाफ नहीं।