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प्रदेश अध्यक्ष बनने के सवाल पर रघुवर दास ने कहा, हमने कभी कुछ मांगा ही नहीं

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द फॉलोअप डेस्क
 

राजनीति में छोटी-मोटी गुटबाजी होती ही है, लेकिन जरूरत पर पूरी पार्टी एकजुट होती है

प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का चुनाव कब तक हो जाएगा, आप भी इस पद की दौड़ में हैं, जैसे सवालों को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सलीके से दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि संगठन संबंधी विषयों पर वह कुछ भी नहीं बोलेंगे। यह पार्टी का काम है। हां इतना जरूर कहा कि उन्होंने पार्टी से कभी कुछ मांगा ही नहीं। पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया। एक मजदूर को मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक बनाया। यह पूछने पर कि उड़ीसा का राजभवन उन्हें क्यों नहीं रास आया। रघुवर दास ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया। रघुवर दास द फॉलोअप के साथ भाजपा, राज्य सरकार और संगठन संबंधी विषयों पर विस्तार से बातचीत कर रहे थे।
यह पूछने पर कि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद वह इसकी मजबूती के लिए क्या सोच रखते हैं, क्या नसीहत देंगे? रघुवर दास ने कहा कि अविभाजित बिहार के समय से छोटानागपुर के इस इलाके में भाजपा मजबूत रही है। मजबूत है। उस समय अधिकांश सांसद-विधायक झारखंड से ही चुन कर आते थे। इसलिए हार-जीत होते रहता है। पार्टी आज भी झारखंड में मजबूत है।

चिंतन से निकलेगा समाधान
लेकिन हार के बाद झारखंड में पार्टी की मजबूती के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए, रघुवर दास ने कहा कि प्रदेश के सभी बड़े नेता मिल बैठ कर चिंतन करेंगे। चिंतन के बाद आम सहमति बना कर हम काम करेंगे। आगे बढ़ेंगे।

राजनीति में गुटबाजी होती ही है
बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और आपका अलग अलग अलग गुट है। रघुवर दास ने कहा कि मेरा कोई गुट नहीं है। पार्टी एकजुट है। राजनीतिक दलों में हर नेता का कुछ न कुछ फॉलोवर्स होता है। छोटी-मोटी गुटबाजी होती ही है। लेकिन जरूरत पड़ने पर पूरी पार्टी एकजुट हो जाती है।

हेमंत सोरेन को काम करने का मौका मिलना चाहिए, लेकिन वे जनता से किए वादे पूरे करें
हेमंत सोरेन सरकार पर टिप्पणी करते हुए रघुवर दास ने बताया कि राज्यपाल पद से इस्तीफे के बाद ही उन्होंने कहा था कि इंडिया गठबंधन को राज्य की जनता ने बड़ा जनादेश दिया है। इसलिए हेमंत सोरेन को काम करने का मौका मिलना चाहिए। चार महीने का समय बहुत कम है। लेकिन राज्य सरकार को चुनाव में जनता से किए अपने वादे पूरे करने चाहिए।

चुनाव बाद होने लगा बेटी-बहनों का अपमान
रघुवर दास ने कहा कि विधानसभा चुनाव के वक्त हेमंत सोरेन ने बेटी और बहनों को 2500 रुपए देने की बात कही थी। उस समय कोई शर्त नहीं थी। लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सरकार अपने वादों से मुकर रही है। शर्त लगा कर बेटी-बहनों का नाम काटा जा रहा है। राज्य में लगभग दो करोड़ मतदाता हैं। इनमें एक करोड़ महिलाएं हैं। उनमें लगभग 70 फीसदी अर्थात 70 लाख बेटी-बहनों को मंईयां सम्मान योजना का लाभ मिलना चाहिए। लेकिन मुश्किल से अब 40 लाख बेटी-बहनों को ही इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। इस तरह चुनाव पूर्व बेटी-बहनों का सम्मान और चुनाव बाद उनका अपमान चार महीने में ही दिखने लगा है। 

1.36 लाख करोड़ के बकाये पर कहा, क्षेत्रीय दलों की यह पुरानी आदत है
केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ की बकाया राशि के सवाल पर रघुवर दास ने कहा कि क्षेत्रीय दलों की यह पुरानी आदत है। बंगाल, बिहार, यूपी समेत अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दलों की यही स्थिति है। वे अपनी विफलता कि ठिकरा केंद्र पर फोड़ना चाहते हैं।

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