द फॉलोअप डेस्कः
नशे का इलाज करनेवाले संस्थानों में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गयी है। इन दिनों रांची में नशे के कारोबारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है। ऐसे में नशे के कारोबार सतर्क हो गये हैं। कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। इसलिए नशेड़ियों की परेशानी बढ़ गई है। नशेड़ियों को समय पर उनकी खुराक नहीं मिल पाने की वजह से वह तनाव में आ रहे हैं। अपने घरवालों को परेशान कर रहे हैं। घरवाले उन्हें लेकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। संस्थान सभी मरीजों को भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। परिजनों को कहा जा रहा है कि वे मरीजों को घर में ही रख कर दवा खिलाएं।
175 से 200 नये मरीज
नशे के आदी मरीजों को सीआइपी, रिनपास और डेविस मनोचिकित्सा संस्थान में भर्ती कराया जाता है। इसके साथ ही कई निजी प्रैक्टिसनर्स भी हैं, जो मरीजों का इलाज कर रहे हैं। सीआइपी में पिछले एक माह में 600 से 800 मरीज नशे की लत का इलाज के लिए आये हैं। इसमें 175 से 200 नये मरीज हैं। इसमें हर दिन एक या दो मरीज ही भर्ती हो पा रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में नहीं इलाज कराना चाहते हैं मरीज
इसी तरह की स्थिति कांके स्थित डेविस मनोचिकित्सा संस्थान की है। यहां भी हर दिन 30 से 40 मरीज आ रहे हैं। इसमें आधे मरीज भर्ती लायक होते हैं। डेविस मनोचिकित्सा संस्थान की कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ सुप्रिया डेविस बताती है कि कई लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं कराना चाहते हैं। नशे की लत छुड़ाने के लिए क्यूडिट एक दवा है, जो सभी स्थानों पर उपलब्ध नहीं है।
बच्चे घर का सामान बेच रहे
नशे के गिरफ्त में आये बच्चों की करतूत से अभिभावक परेशान है। पैसा नहीं देने पर ये बच्चे घर का सामान बेच दे रहे हैं। माता-पिता को अलमारी में ताला लगाकर रखना पड़ रहा है। इसके बावजूद नशे के आदी बच्चे घर से घड़ी, पीतल के बर्तन और मोबाइल आदि सामान बेच कर नशे की लत पूरी कर रहे हैं।