लोहरदगा:
उम्र महज दो साल नौ महीने। आपने इस उम्र में क्या होगा, ये आपको शायद ही याद हो। आप अपने बच्चों के भविष्य को लेकर योजना बनाने में व्यस्त हों। बच्चों को एक-एक शब्द याद दिलाने के लिए मेहनत कर रहे हों। निश्चित रूप से एक अभिभावक की जिम्मेवारी अपने बच्चों को लेकर सर्वोपरी होती है। कहा भी जाता है कि एक शिशु के लिए माता-पिता ही प्रथम गुरु होते हैं।
असाधारण प्रतिभा का धनी है अनुराग कुंडू
चलिए हम आपको एक ऐसे ही विद्यार्थी से मिलवाते हैं, जिसकी प्रतिभा को पहचानने का काम स्वयं उनके माता-पिता ने किया। बच्चे ने अपनी प्रतिभा से अपने माता-पिता को ऐसा प्रभावित किया कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वह बच्चा इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा कर एक प्रेरणा बन चुका है। लोहरदगा में हिंडाल्को कंपनी से जुड़े हुए जियोलॉजिस्ट राजेश कुंडू और उनकी पत्नी गृहणी अनिंदिता कुंडू की एकमात्र संतान है अनुराज कुंडू। अनुराज का जन्म 17 मार्च 2019 को हुआ था। किसी सामान्य अभिभावक की तरह अपने बच्चे को प्राथमिक शिक्षा देने को लेकर जब माता-पिता ने उसे पढ़ाना प्रारंभ किया तो यह देखा कि अनुराज में किसी भी चीज को सीखने की गजब की क्षमता थी।
किसी भी चीज को आसानी से समझ लेता है
अनुराज बड़ी आसानी से किसी भी चीज को याद कर लेता था। धीरे-धीरे अनुराज के सीखने और याद करने की क्षमता बढ़ने लगी। उसने देखते ही देखते 24 जानवरों की पहचान, अंग्रेजी अल्फाबेट, 12 रंगों के नाम, 14 पार्ट्स ऑफ बॉडी, नौ फ्रूट्स, आठ वेजिटेबल्स, दस वाहनों के नाम, सामान्य ज्ञान से जुड़े हुए 15 प्रश्नों के उत्तर, देश के सभी राज्यों के राजधानी का नाम, नंबर, सात दिनों के नाम, 12 मंथ इन ए ईयर, मौसम के नाम, कविता यह सब कुछ महज दो साल नौ महीने की उम्र में ही सीख लिया। अनुराज की प्रतिभा ने माता-पिता को काफी हद तक प्रभावित किया।
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज अनुराग का नाम
इसके बाद अनुराज के माता-पिता ने उसकी प्रतिभा को निबंधित कराने का संकल्प लिया। उन्होंने इंडिया बुक रिकॉर्ड में अनुराग की प्रतिभा से संबंधित जानकारियों को शेयर करते हुए रिकॉर्ड करने का अनुरोध किया। जिसके बाद अनुराज को उसकी प्रतिभा में खरा पाए जाने पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उसे स्थान दिया गया। साथ ही उसे मेडल, प्रशस्ति पत्र आदि प्रदान किया गया है। आज भी अनुराज की प्रतिभा देखने के लिए लोग राजेश और अनिंदिता के घर पहुंचना जारी रखे हुए हैं। लोग प्रशंसा किए बिना नहीं थक रहे।