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माले का घोषणा पत्र जारी, मनरेगा में 200 दिन काम औऱ 600 रुपये मजदूरी; जानें और क्या-क्या है

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रांची 
लोकसभा चुनाव को लेकर भाकपा-माले ने आज अपना घोषणा पत्र जारी किया। माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय, राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, मंजू प्रकाश, शशि यादव, महबूब आलम और गोपाल रविदास ने इसे संयुक्त रूप से जारी किया। माले के घोषणा पत्र में रोजगार, सांप्रदायिकता का विरोध, सामाजिक भेदभाव औऱ समान नागरिकता पर खास तौर पर फोकस किया गया है। आइये जानते हैं इसके बिंदुओं के बारे में- 

-    चुनावों का लोकतांत्रीकरण, बैलेट से चुनाव, सर्वोच्च न्यायालय की अनुशंसा के अनुसार मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री व नेता प्रतिपक्ष का सेलेक्शन, राजनीतिक दलों का चुनाव खर्च सीमा निर्धारित हो, जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार हो, दलबदल पर सदस्यता स्वतः समाप्त कर दी जाए।
-    सभी नागरिकों को रोजगार, पोषण, स्वास्थ्य व रहने का मौलिक अधिकार। भेदभावकारी सीएए-एनआरसी-एनपीआर रद्द किया जाये। समान नागरिक संहिता को पूरी तरह रद्द किया जाए, आधार को खारिज किया जाए। जनकल्याण की सभी योजनाओं को सार्वभौमिक बनाया जाए, जाति व धर्म, सेक्सुअल ओरिएन्टेशन, जेंडर आइडेंटिटी, विकलांगता के आधार पर भेदभाव को खत्म किया जाए।


-    सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में आरक्षित रिक्तियों समेत सभी पदों पर तत्काल नियुक्ति, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता, निजी क्षेत्र में शिक्षा व रोजगार का वादा, अग्निपथ योजना का खात्मा पर जोर। 
-    एमएसपी की गारंटी, सभी कर्जों की माफी, कृषि कार्य हेतु सस्ती दरों पर खाद व बीज की उपलब्धता, बटाईदार किसानों को कानूनी मान्यता, पंजीकरण।
-    भूमिहीनों को सीलिंग, भूदान, धार्मिक मठों एवं परती भूमि का वितरण। सभी को आवासीय भूमि की गारंटी
-    मनरेगा में 200 दिन काम व न्यूनतम 600 रु मजदूरी। 
-    सच्चर कमिटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशेां को लागू करना
-    राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का खात्मा, शिक्षा पर बजट का 10 प्रतिशत खर्चा, मातृभाषा में निःशुल्क शिक्षा, निजी संस्थानों में आरक्षण, जेंडर सेन्सिटाइजेशन, मिड डे मील का बजट बढ़ाना,शिक्षण संस्थानों में जातीय भेदभाव का खात्मा


-    जंगलों, तटीय इलाको एवं परंपरागत फिशिंग जोनों का निजीकरण व व्यवस्यीकरण पर रोक
-    आरटीआई कानून को सुद्ढ़ करना, मानवाधिकारों के उल्लंघन पर रोक, यूएपीए और एएफएसपीए और नए तीनों क्रिमिनल कोड समेत सभी दमनकारी कानूनों की वापसी, सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई। 
-    जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली और पुडुच्चेरि को पूर्ण राज्य का दर्जा, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, कार्बी आंग्लांग को स्वायत्त राज्य का दर्जा। 
-    संप्रभु, लोकतांत्रिक और मानवतावादी विदेश नीति। 

 

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