रांचीः
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आज आदिवासी समाज की तरफ से पत्र लिखकर जमीन की रक्षा की मांग की गई है। पत्र लिखने वालों में मुख्यतः बलकू उरांव, करमा उरांव, प्रेम शाही मुण्डा, सुशील उरांव शामिल हैं। इनकी तरफ से पत्र में कहा गया है कि झारखंडियों के परम्परातगत, धार्मिक एवं सामाजिक जमीन की लूट हो रही है, आदिवासियों की जमीन के सुरक्षा के लिए छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम रहने के बाद भी जमीन की धड़ल्ले से लूट हो रही है। जिससे भूईंहरी, मुण्डारी, खुंट-कट्टी, भुईंहरी पहनई, मुण्डाई, महतोई, डालकतारी, भूतखेता, पोईनभोरा एवं गैर मजरूआ जैसे जमीन की लूट हो रही है। जो आदिवासियों की परम्परागत व्यवस्था की जमीन है। जिससे इनकी धार्मिक-सामाजिक आर्थिक भावनाये जमीन से जुड़ी हुई है। यह जमीन भूमि सुधार अधिनियम 1950 से बाहर है।
1 भईहरी:- झारखण्ड की आदिम भूमि व्यवस्था का पुरातन अवशेष जो अब पुरानी राँची जिला तक ही सिमित रह गया है, और जिसका अधिकार अभिलेख पहली बार 1889-1880 के दरम्यान विशेष कमिश्नर रखाल दास हलधर द्वारा छोटानागपुर भूधृत अधिनियम, 1869 के अन्तर्गत बना। 1880 के पश्चात् कोई भी भुईहरी टेन्योर (भुवृति) की अनुमति नहीं है, भुईहरी जमीन सिर्फ पुरानी रांची जिला के 2482 गांव में पाया जाता है। यह मुण्डारी खुटकट्टी का ही एक रूप है। यह बिहार भूमि के 1950 के दायरे में नहीं आता है।
2. भुईहरी परिवारः- भुईहरी परिवार सबसे पहले जंगल को साफ कर गाँव बसाया, उस गाँव में सभी भुईहरी जमीन के सामूहिक मालिक होते हैं और इस कारण ही इस प्रकृति की जमीन सरकार में निहित नहीं है और सरकार उनसे लगान नहीं लेती है।
3. मुण्डारी खुंटकट्टी:- छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम धारा 8 में जंगल की वह जमीन जिसे मुण्डारी गाँव के मूल संस्थापकों के वंशज संयुक्त रूप से धारण करते हैं। यह बिहार भूमि सुधार अधिनियम 1950 के दायरे से बाहर है। चूँकि यह सरकार में निहित नहीं हुई है वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के प्रभाव में आने के पश्चात् मुण्डारी खुँटकट्टीदारों को जंगल की भूमि को नया खेत बनाने का अधिकार समाप्त कर दिया गया है।
समस्या
बिहार काश्तकारी holing (maintenance of record) अधिनियम 1973 का पालन किये बिना ही ऑनलाईन कर दिया गया जिससे की विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न हो गयी है जिसमें नाम, जाति, रकबा, प्लॉट इत्यादि में गलती पायी गयी है। भुईहरी एवं मुण्डारी खुटकट्टी और गैर मजरूआ सादा हुक्कुम्नामा के नाम से धडल्ले से बिक्री की जा रही है। कहीं-कहीं भुईहरी, गैर मजरूआ की रसीद भी निर्गत की जा रही है। जिससे की आदिवासियों की परम्परा-संस्कृति जमीन खतरे में है, इसको तत्काल रोका जाये जिससे कि आदिवासियों की धार्मिक, सामाजिक भूमि की रक्षा हो सके और इसका एक निगरानी के लिए विभाग / आयोग बनाया जाए। जिसमें कानून के जानकार रिटायर्ड जज द्वारा मोनरिटिंग (देखभाल में जाँच किया जाय।
मांगे
1. खतियान के साथ छेड़छाड़ एवं जमीन को स्थानान्तरण दिखा कर दुसरों को स्थानान्तरण किया जाता रहा है उसे रोका जाय ।
2. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम एवं मुण्डारी खुटकट्टी कानून को कड़ाई से लागू किया जाये एवं आदिवासियों समुदाय के अधिकारों को संरक्षित किया जाए।
3. भूमि बैंक को रद्द किया जाए जो कि खतियान में दर्ज, गाँव की समी के भीतर गैर मजरूआ आम और गैर मजरूआ खास जमीन, जंगल, सरना, मसना, गाँव की सम्पत्ति है, जिसे अविलम्ब रद्द किया जाए।
4. ऑनलाईन जमीन के दस्तावेजों का हो रहा छेड़-छाड़ एवं जमीन का हेरा फेरी बंद किया जाए।
5. 2014 के बाद ऑनलाईन के दस्तावेजों की हुई गड़बड़ी को सुधारा जाए।
6. ऑनलाईन जमीन के दस्तावेजों में गड़बड़ी के कारण रैयतों को जमीन की रसीद काटने में कठिनाईयाँ आ रही है, उसे ठीक किय जाये।
7. सादा पट्टा से जमीन की लूट हो रही है, उसे अविलम्ब रोका जाए
8. आदिवासियों की धार्मिक सामाजिक जमीन की अवैध हस्तांतरण को रोका जाए एवं हड़पी गयी जमीन को वापस किया जाए।
9. भुईहरी जमीन को कब्जा से मुक्त किया जाए। मौजा- उलहातू नामकोम अंचल, खाता सं0-284 रैयत का नाम सुशील लकड़ा वगैरह। मौजा- बोरहाबादी, थाना नं0-192 खाता नं० 160 161 162. मूईहरी, खुटीकटीदार,
पल्स हॉस्पीटल, हेल्थ पोइट हॉस्पीटल, लॉ वीस्टा अपार्टमेंट श्याम सर्विस पेट्रोल पम्प सहित अन्य प्रतिष्ठान अवस्थित है उस पर गहन छानबीन किया जाय और मुल रैयत (भुईहरदार) को वापस किया जाय।
10. अनुलग्न में दिखायी हुई जमीनों का जो गैर कानूनी तरीके से लूटी जा रही है, उसे रोकने के लिए सरकार की ओर से अविलम्ब कारवाई की जाए।
11. गड़बड़ी करने वाले दोषी अधिकारियों एवं जमीन कारोबारियों के उपर कानूनी कार्रवाई की जाए।