रांची
प्रेस क्लब, रांची में झारखंड साहित्य अकादमी स्थापना संघर्ष समिति, रांची के तत्वावधान में तृतीय 'अलंकरण समारोह' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शंभु बादल ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कथाकार राकेश कुमार सिंह एवं पंकज मित्र उपस्थित रहे। निम्नांकित साहित्यकारों को हिंदी समेत अन्य झारखंडी भाषाओं में योगदान हेतु सम्मानित किया गया:
1. अशोक प्रियदर्शी (रांची) – बिरसा मुंडा शिखर सम्मान (समग्र साहित्यिक अवदान के लिए)
2. शेखर मलिक (घाटशिला) – विनोद बिहारी महतो स्मृति सम्मान (उत्कृष्ट साहित्यिक लेखन के लिए)
3. रश्मि शर्मा (रांची) – राधाकृष्ण स्मृति सम्मान (कथा लेखन के लिए)
4. रजनी गुप्ता (रामगढ़) – डॉ. रामदयाल मुंडा स्मृति सम्मान (श्रेष्ठ लेखन के लिए)
5. सत्या शर्मा कीर्ति (रांची) – भारत यायावर स्मृति युवा सम्मान (समकालीन कविता के लिए)
6. प्रणव प्रियदर्शी (रांची) – कॉमरेड महेंद्र प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान (साहित्य पत्रकारिता के लिए)
7. डॉ. सुभाष कुमार यादव (धनबाद) – रघुनाथ महतो स्मृति सम्मान (विधा वैविध्य के लिए)
8. सुजाता कुमारी (बोकारो) – सुशीला सामद स्मृति सम्मान (समकालीन कविता के लिए)
9. गुलांचो कुमारी (हजारीबाग) – सृष्टिधर महतो स्मृति सम्मान (कुरमाली भाषा, संस्कृति के साथ हिंदी में समसामयिक लेखन के लिए)
10. नेतलाल यादव (गिरिडीह) – शिवनाथ प्रमाणिक स्मृति युवा सम्मान (खोरठा-हिंदी कविता के लिए)
11. डॉ. हाराधन कोईरी (रांची) – जगन्नाथ महतो स्मृति युवा सम्मान (पंचपरगनिया साहित्य के लिए)
12. रवि शंकर शाह (देवघर) – डॉ. डोमन साहू समीर स्मृति युवा सम्मान (अंगिका-हिंदी कविता के लिए)
13. संघमित्र राएगुरु (रांची) – भाषा मित्र सम्मान (उड़िया-हिंदी परस्पर अनुवाद के लिए)
14. संतोष कुमार शर्मा (रांची) – नवल सृजन सम्मान (नव लेखन के लिए)
15. चेतना झा (रांची) – भाषा मित्र सम्मान (साहित्यिक पत्रकारिता के लिए)
कार्यक्रम की शुरुआत में विशिष्ट अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। समिति के सचिव नीरज नीर ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए समिति के उद्देश्य और संघर्ष पर प्रकाश डाला। समिति के अध्यक्ष शिरोमणि महतो ने आयोजन में शामिल होने वाले साहित्यप्रेमियों एवं साहित्यकारों का स्वागत करते हुए समिति द्वारा किए गए प्रयासों एवं सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों के बारे में बताया।
इसके बाद साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। पुरस्कृत होने वाले साहित्यकारों ने अपने अनुभव प्रस्तुत किए। प्रसिद्ध कथाकार पंकज मित्र, राकेश कुमार सिंह एवं वरिष्ठ कवि शंभु बादल ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार शंभु बादल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार प्राय: संस्कृति कर्मियों और साहित्यकारों के साथ खड़ी नहीं होती है क्योंकि संस्कृति कर्मी एवं साहित्यकार हमेशा सरकार पर पैनी नजर रखते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी ने साहित्य अकादमी के गठन को लेकर उम्मीद जताई। कथाकार शेखर मलिक ने कहा कि लेखक हमेशा प्रतिपक्ष होता है, इसलिए लेखन का रास्ता फूलों भरा रास्ता नहीं है। कार्यक्रम में अमरेश कुमार सिंह की किताब ‘द सॉन्ग ऑफ लाइफ’, गुलांचो कुमारी की कविता संग्रह ‘बाहर से ही लौट आए’ एवं डॉ. शारदा प्रसाद की पुस्तक ‘साहित्य के सामाजिक परिदृश्य’ का लोकार्पण भी किया गया। धन्यवाद ज्ञापन विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के प्राध्यापक मुकुंद रविदास ने किया। मंच संचालन राजीव थेपड़ा ने किया।
कार्यक्रम में अनिल किशोर सहाय, चंद्रिका ठाकुर देशदीप, बासु बिहारी, दिनेश्वर महतो, संतोष कुमार महतो, नुनु चंद महतो, निशि प्रभा, सुमित कुमार पंडित, पुष्पा कुमारी, सुशील स्वतंत्र, सुनीता सिंह, बलराम सिंह, निर्मला झा, खुशबू बरनवाल सीपी, रतन कुमार महतो, सत्यार्थी, अनिमा महतो सहित सैकड़ों साहित्यकार और साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।