रांची
अमर कुमार बाउरी नेता प्रतिपक्ष ने एक पीपीटी के माध्यम से "मिला क्या?" कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि 2019 में तैयार हुई है। उस वक़्त महागठबंधन सरकार ने कुछ वादा किया था। फिर से एक बार राज्य में चुनाव होना है। विधानसभा के अंदर भी बीजेपी ने सरकार के वादा को याद दिलवाने की कोशिश की थी जिसमें बीजेपी के 18 विधायकों को निलम्बित किया गया था। 23 अगस्त को जन आक्रोश रैली में सरकार डरी हुई नजर आयी। उन्होंने बताया कि सरकार ने सबसे बड़ा वादा युवाओं से किया था जिसमे हर वर्ष 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। जब तक रोजगार नहीं मिलता है तब तक 5000 (स्नातक) और 7000 (स्नातकोत्तर) को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया। उस वक़्त हेमंत सोरेन ने कहा था कि यदि या कार्य पूर्ण न हुए तो वो राजनीति से सन्यास ले लेंगे। राज्य के युवा पूछ रहे मुझे तो सरकारी नौकरी नहीं मिला, ककपको मिला क्या?
हेमंत सोरेन ने महिलाओं को गारंटी फ्री 50000 का ऋण, प्रतिमाह 2000 चूल्हा भत्ता, गरीब बेटियों की शादी के बाद सोने का सिक्का देने का वादा किया था, ये सब वादा महिलाओं से किया गया। राज्य की महिलाएं पूछ रही मुझे नहीं मिला आपको मिला क्या? हेमंत सोरेन ने किसानों से वादा किया था सभी 264 ब्लॉक में कोल्ड स्टोरेज देने का वादा किया था, सभी गरीब परिवार को 72000 प्रति वर्ष देने का वादा किया था। सभी विधवा महिलाओं को 2500 रुपया प्रतिमाह देने का वादा किया था। राज्य के किसान कह रहे मुझे नहीं मिला आपको मिला क्या? प्रशासनिक सुधार का वादा करते हुए हेमंत सोरेन ने चाईबासा, पलामू और हज़ारीबाग़ को उप राजधानी बनाएंगे। स्वास्थ्य क्षेत्र में सभी प्राथमिक, उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। मरीज भी पूछ रहे मुझे तो इलाज न मिला आपको मिला क्या?
जनता ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन पर भरोसा किया लेकिन उन्होंने राज्य की भोली भाली जनता के विश्वास से खेला। अनुबंधकर्मी और संविदाकर्मियों को स्थायीकरण करने का वादा किया था, मनरेगा कर्मी, पारा शिक्षक, कृषक मित्र आदि सभी को स्थायीकरण कर देंगे। और जब पारा शिक्षक ने अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाई तो उनपर लाठियां बरसाई गयी।
सरकार के लगभग सभी परीक्षाओं में घोटाला हुआ। CGL, JSSC, JPSC, LAB तकनीशियन सभी तरह की परीक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। हालात ऐसे है कि JPSC का अध्यक्ष और सदस्य सरकार के नेताओं के परिजन है। सरकार ने नौकरी को बेचने का काम किया। झारखंड अलग राज्य चिन्हित आयोग से भी पेंशन का वक़दा कर भूल गयी। आदिवासियों की जमीन की लूट हो रही है। आज राज्य में बालू सोने के भाव बिक रही है। सरकार के संरक्षण में बालू की काला बाजारी हो रही है। एक तरफ झारखंड सेवा सचिवालय, समाहरणालय कर्मी जैसे कई सरकारी कर्मचारी हैं जिनकी नौकरी छीनने का काम भी इस सरकार ने किया।