द फॉलोअप डेस्क
बुधवार को विधानसभा में असहज स्थिति पैदा हो गई जब भाजपा विधायक और स्पीकर रविंद्र नाथ महतो के बीच नोंक झोंक शुरू हो गई। हुआ यह कि शून्य काल के दौरान कुशवाहा शशि भूषण मेहता अपना सवाल पढ़ रहे थे। सवाल पढ़ने के क्रम में मेहता थोड़ी देर चुप हो गए। स्पीकर ने उनका सवाल पढ़ लिया गया समझ कर दूसरे विधायक को अपना सवाल रखने की इजाजत दे दी। इसी पर कुशवाहा गुस्से में आ गए। उन्होंने अपने हाथ में रखें लिखित सवाल को फाड़ दिया। आसन पर कई तरह के आरोप लगाने लगे। इस पर स्पीकर भी नाराज हो उठे। पहले तो उन्होंने कुशवाहा को फिर से सवाल रखने का आग्रह किया। इस कारण में कुछ देर तक फिर से सवाल पढ़ें, पूरा पढ़ें को लेकर नोंक झोंक हुई। गुस्से में स्पीकर ने भी कहा कि आपको जहां से पढ़ना है पढ़िए। पूरा पढ़िए, बचा हुआ पढ़िए। स्पीकर यहीं नहीं ठहरे। स्पीकर ने कहना शुरू किया। आसान इतना कमजोर नहीं है जो मन में आता है आसन पर आक्षेप लगाने लगते हैं। फिर स्पीकर ने बाबूलाल मरांडी से पूछा कि इस मामले में आसन की क्या गलती है। बाबूलाल मरांडी ने स्पष्ट किया कि सवाल पढ़ने के क्रम में शशि भूषण मेहता द्वारा कुछ देर ठहर जाने के कारण आपने समझ लिया कि उनका सवाल समाप्त हो गया है। इधर मेहता का सवाल पूरा नहीं हुआ था। इसलिए किसी की गलती नहीं है। फिर संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने भी हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि शून्य काल का प्रश्न अधिकतम 50 शब्दों का होना चाहिए। स्पीकर इससे अधिक शब्दों का सवाल सदन में रखने दे रहे हैं। फिर भी उन पर आरोप उचित नहीं है। उसके बाद मामला शांत हो गया।