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जस्टिस तरलोक सिंह चौहान होंगे झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

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द फॉलोअप डेस्कः
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान को झारखंड हाईकोर्ट का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की है। सोमवार को आयोजित कॉलेजियम की बैठक में झारखंड सहित मध्य प्रदेश, दिल्ली और पटना हाईकोर्ट के लिए भी मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की गई। जस्टिस चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िले के रोहड़ू क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से प्राप्त की, जहाँ वे स्कूल कैप्टन भी रहे। इसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक किया और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून की डिग्री प्राप्त की।


वर्ष 1989 में वकालत की शुरुआत करने के बाद वे वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के प्रतिष्ठित चैंबर से जुड़े। उन्होंने हिमाचल हाईकोर्ट में विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की और राज्य विद्युत बोर्ड, नागरिक आपूर्ति निगम सहित कई संस्थानों के कानूनी सलाहकार के रूप में सेवाएं दीं। अपने न्यायिक करियर में उन्होंने 23 फरवरी 2014 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और 30 नवंबर 2014 को उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वे दो अवसरों पर हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं।


जस्टिस चौहान को अनेक जनहित से जुड़े मामलों में कोर्ट मित्र (Amicus Curiae) के रूप में नियुक्त किया गया, जिनमें हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, रोपवे निर्माण, पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक और तंबाकू पर प्रतिबंध, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सड़क निर्माण नीति जैसे विषय शामिल हैं। उन्होंने बाल न्याय समिति के अध्यक्ष के रूप में बाल कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों और वृद्धाश्रमों में सुधार के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया। जस्टिस चौहान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे 2019 में रोमानिया में बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार पर आधारित कार्यक्रम में शामिल हुए और 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित “न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषयक सम्मेलन में प्रतिभागी रहे।

जस्टिस चौहान 12 नवंबर 2016 से हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला की कार्यकारी परिषद और गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी रहे हैं। 18 नवंबर 2018 से 13 मार्च 2020 तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे उच्च न्यायालय में कंप्यूटर और ई-कोर्ट समिति के अध्यक्ष भी रहे और उनके नेतृत्व में न्यायालयों के डिजिटलीकरण को नई दिशा मिली।