द फॉलोअप डेस्कः
23 अगस्त को भाजयुमो की रैली के दौरान सिटिंग जज जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी कांके रोड में जाम में फंस गये थे। इस बात को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। स्वतः संज्ञान लेते हुए जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने डीजीपी, डीसी, एसएसपी और ट्रैफिक एसपी को तलब किया था। जिसके बाद सभी अधिकारी सशरीर कोर्ट में हाजिर हुए।अदालत ने संज्ञान लेते हुए मामले को एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास विस्तृत सुनवाई के लिए भेज दिया। हालांकि अदालत में सशरीर उपस्थित डीजीपी ने कहा है कि दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी। व्यवस्था में कुछ चूक हुई है। अब ऐसा नहीं होगा।
कोर्ट ने अधिकारियों को लगाई फटकार
जस्टिस द्विवेदी की अदालत ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि जब हाइकोर्ट के सिटिंग जज सीएम आवास के पास जाम में फंस रहे हैं, उन्हें निर्धारित स्थल पर पहुंचने में कई घंटे का समय लग रहा है, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी, यह समझा जा सकता है। कहा कि कांके रोड में किसी तरह कोई प्रदर्शन नहीं था। इसके बाद भी वहां 300 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटना से ऐसा लगता है कि विधि-व्यवस्था फेल है। यह गंभीर मामला है। हाइकोर्ट के सिटिंग जज सुरक्षित नहीं है। लगता है सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ मंत्रियों व राजनीतिज्ञों के लिए है। जब हाइकोर्ट का एक सिटिंग जज सुरक्षित नहीं है, तो दूसरे कोर्ट का भी न्यायाधीश सुरक्षित नहीं है।
कब जाम में फंसे थे जस्टिस?
आपको बता दें कि रांची में 23 अगस्त को भारतीय जनता युवा मोर्चा ने रैली का आयोजन किया था। इस दौरान जस्टिस एसके द्विवेदी कांके रोड में सीएम आवास के पास काफी देर तक जाम में फंसे रहे। उनके पीएसओ ने ट्रैफिक एसपी समेत कई आला पुलिस अधिकारियों से कई बार मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन दूसरी तरफ से कोई रिस्पांस नहीं आया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से संपर्क किया, तो उन्होंने डीजीपी से बात की। डीजीपी के निर्देश पर पुलिस ने जस्टिस की गाड़ी जाम से बाहर निकलवाई।