logo

जनगणना की अधिसूचना जारी होते ही JMM ने उठाया डेटा हैकिंग का सवाल, पूछा- ‘सरना धर्म कोड’ कॉलम होगा या नहीं

supjmm.jpg

रांची 
केंद्र सरकार ने जनगणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही आज़ादी के बाद पहली बार जातीय जनगणना का रास्ता साफ हो गया है। अब पूरे देश में मार्च 2027 की रेफरेंस डेट से जातीय जनगणना कराई जाएगी। हालांकि, इससे पाँच महीने पहले, अक्टूबर 2026 में, पहाड़ी राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अधिसूचना जारी होने के कुछ ही घंटों के भीतर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी ने डेटा हैकिंग का खतरा जताते हुए कहा है कि यह जनगणना 2029 के आम चुनाव से पहले पूरी हो ही नहीं पाएगी। साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम को ठंडे बस्ते में डालने का यह एक राजनीतिक प्रयोग है।


एनपीआर में डेटा हैकिंग का खतरा: JMM
सोमवार को रांची स्थित झामुमो के कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को भ्रामक बताया। उन्होंने कहा कि जनगणना को लेकर दो अलग-अलग तिथियों की घोषणा यह स्पष्ट कर देती है कि यह प्रक्रिया 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरी नहीं हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित जनगणना व्यक्ति-आधारित होगी, जिसमें जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफिक) जानकारी के साथ-साथ जातीय विवरण भी शामिल किया जाएगा और यह पूरी तरह डिजिटल होगी। सरकार इन आंकड़ों को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में दर्ज करेगी।

डिजिटल फ़ॉर्मेट के बारे में पूछा 

सुप्रियो भट्टाचार्य ने सवाल उठाया कि आज जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जनगणना के लिए कौन-सा डिजिटल फ़ॉर्मेट इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने इसे एक 'बड़ा खेल' करार दिया और आरोप लगाया कि एनपीआर के माध्यम से जातियों को खंडित करने की साज़िश रची जा रही है। उनका कहना था कि यह सरकारी स्तर पर डेटा हैकिंग का प्रयास है, जो एक बेहद संवेदनशील और गंभीर विषय है। यदि जनसंख्या का डेटा हैक हो गया, तो यह देश के लिए बड़ा ख़तरा बन सकता है।


सरना कॉलम होगा या नहीं?
सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि मार्च 2027 से झारखंड में होने वाली जातीय जनगणना के फ़ॉर्म में ‘सरना धर्म कोड’ का कॉलम होगा या नहीं। उन्होंने कहा कि जनगणना का फ़ॉर्मेट पहले ही सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग अपनी जानकारी सही-सही दे सकें। अन्यथा, डिजिटल जनगणना के दौरान आने वाले अधिकारी कुछ भी भर कर चले जाएंगे और आम आदमी को इसकी जानकारी ही नहीं होगी।

Tags - Jharkhand News News Jharkhand Jharkhand।atest News News Jharkhand।ive Breaking।atest