गोड्डा:
बोरियो विधानसभा से झामुमो विधायक और प्रदेश के पूर्व मंत्री लोबिन हेंब्रम ने गोड्डा में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। लोबिन हेंब्रम ने यहां अपनी ही सरकार पर जमकर भड़ास निकाली। लोबिन हेंब्रम ने हेमंत सरकार की शराब नीति को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि झारखंड में शराब का सरकारीकरण दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सिद्धांतों के खिलाफ है।
यहां लोबिन हेंब्रम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि शिबू सोरेन उनके नेता हैं। हेमंत सोरेन उनके नेता नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सदन के नेता हो सकते हैं मेरे नहीं।
राज्य में शराबबंदी के समर्थक हैं शिबू सोरेन
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि शिबू सोरेन राज्य में शराबबंदी के समर्थक रहे हैं। उन्होंने शुरआत से ही आदिवासी समाज को शराब से दूर रहने की नसीहत दी। दिशोम गुरु आज भी युवा पीढ़ी से शराब से दूर रहने की अपील सभा और बैठकों में करते हैं।
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि शिबू सोरेन ना केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हैं बल्कि आदिवासी समाज के मान तथा सम्मान के प्रतीक भी हैं। शिबू सोरेन के जीवन मूल्यों और सिद्धातों से समझौता उनका अपमान माना जायेगा। लोबिन हेंब्रम ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि आदिवासी समाज शिबू सोरेन का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।
शराब नीति को लेकर मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी
बोरियो विधायक ने कहा कि मैंने इस मामले को सदन में उठाया। मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शराब का सरकारीकरण नहीं करने औऱ दिशोम गुरू के सिद्धांतो के अनुरूप राज्य में शराब नीति बनाने का आग्रह किया था।
मैंने पार्टी के सभी विधायकों को भी पत्र लिखा था। उनसे आग्रह किया था कि शिबू सोरेन के सम्मान की रक्षा का हर संभव प्रयास किाय जाए। लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मैंने विधायकों से राजस्व की दुहाई देकर दिशोम गुरु के सिद्धांतों के खिलाफ जाने के प्रयास को रोकने का आग्रह किया।
शीतकालीन सत्र में सदन में उठाया था मुद्दा
प्रेस वार्ता में काफी आक्रामक नजर आ रहे लोबिन हेंब्रम ने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी मैंने सदन में मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि राज्य में शराब बंदी हो या ऐसी शराब नीति बने जोकि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सिद्धांतों के अनुरूप हो।
बीजेपी के कार्यकाल में झामुमो ने किया था विरोध
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने राज्य में शराब से होने वाले राजस्व में बढ़ोतरी का उपाय सुझाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड को परामर्शी नियुक्त किया है। सीएसएमएल द्वारा झारखंड में शराब के सरकारीकरण का परामर्श दिया है। उन्होंने कहा कि झारखंड में ऐसा प्रयोग बीजेपी के रघुवर दास कार्यकाल में भी हो चुका है। तब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसका जोरदार विरोध किया था।
शराब का सरकारी-करण आदिवासी समाज का अपमान
विधायक ने कहा कि झामुमो के विरोध के कारण ही सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा था। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के विरोध का सबसे बड़ा कारण था शराब का सरकारीकरण दिशोम गुरु शिबू सोरेन की शिक्षा और सिद्धांतों के खिलाफ होना।
उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जीवन मूल्यों, शिक्षा और नीति के खिलाफ हमारी सरकार यदि शराब के सरकारीकरण का फैसला करती है तो ये सिर्फ शिबू सोरेन ही नहीं बल्कि आदिवासी समाज का अपमान होगा।